पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए हैं. शामिल होने से पहले खूब अटकलों का दौर चला कि कौन नेता ‘भगवा’ पार्टी का हिस्सा बन रहा है. अंततः अटकलों पर विराम लगा और जितिन प्रसाद बीजेपी का हिस्सा हो गए. 29 नवंबर 1973 को जन्मे जितिन प्रसाद भारत की राजनीति में जाना माना नाम हैं. वे पूर्व में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रह चुके हैं. जब वे केंद्रीय राज्यमंत्री बने थे, तब 15वीं लोकसभा में वे धौरहरा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. यह क्षेत्र यूपी के लखीमपुर खीरी में पड़ता है.
जितिन प्रसाद का जन्म यूपी के शाहजहांपुर में हुआ है. उनके पिता का नाम जितेंद्र प्रसाद और मां का नाम कांता प्रसाद है. जितिन प्रसाद की मां कांता प्रसाद हिमाचल प्रदेश से हैं. जितिन प्रसाद ने देहरादून स्थित दून स्कूल से पढ़ाई की है. दिल्ली यूनिवर्सिटी स्थित श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से उन्होंने बीकॉम की डिग्री ली है. अंत में जितिन प्रसाद ने नई दिल्ली स्थित आईएमए से एमबीए की डिग्री हासिल की. जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद कांग्रेस पार्टी के नेता थे और वे विधायक रहे, साथ में स्थानीय निकायों में भी पद संभालते रहे. जितिन प्रसाद की दादी पामेला प्रसाद कपूरथला स्थित रॉयल सिख फैमिली से ताल्लुक रखती थीं.
जितिन प्रसाद की राजनीति
साल 2001 में जितिन प्रसाद ने इंडियन यूथ कांग्रेस से अपने राजनीति की शुरुआत की. वे यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी बनाए गए. साल 2004 में जितिन प्रसाद ने अपना पहला चुनाव जीता. वे 14वीं लोकसभा में सांसद चुने गए. यूपी के अपने होमटाउन शाहजहांपुर से सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे. संसद में अपनी पहली ही पारी में जितिन प्रसाद को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया. उन्हें स्टील मिनिस्ट्री में राज्यमंत्री बनाया गया. उस वक्त केंद्रीय कैबिनेट में जितिन प्रसाद सबसे युवा मंत्री के रूप में आसीन हुए थे.
कब जीते, कब मंत्री बने
साल 2009 में जितिन प्रसाद ने लखीमपुर खीरी स्थित धौरहरा से संसदीय चुनाव लड़ा और विजयी घोषित हुए. इस चुनाव में परिसिमन हुआ था और जितिन प्रसाद का होमटाउन शाहजहांपुर धौरहरा क्षेत्र में शामिल हो गया था. चुनाव से पहले जितिन प्रसाद ने लोगों को वचन दिया था कि जीत कर संसद पहुंचे तो लखीमपुर खीरी के रेलवे की छोटी लाइन को बड़ी लाइन में तब्दील कराएंगे. इस वादे पर क्षेत्र के लोगों ने जितिन प्रसाद का भरपूर समर्थन दिया. वे चुनाव जीते और इस वादे को पूरा किया. इसके बाद जब वे स्टील राज्यमंत्री बनाए गए तो क्षेत्र का पूरा खयाल रखा. उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र धौरहरा में स्टील फैक्टरी खोलने के लिए उसकी आधारशिला रखी. यह घटना 2008 की है. हालांकि यह वादा अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.
संसद की समितियों में रहे पदासीन
संसद की कई अलग-अलग कमेटियों का उन्हें हिस्सा बनाया गया था. सूचना तकनीक, कंसल्टिव कमेटी, सिविल एविएशन और स्टील मिनिस्ट्री की कमेटी के प्रतिनिधि बनाए गए. 2014 के लोकसभा चुनाव में वे हार गए और उन्हें बीजेपी उम्मीदवार रेखा वर्मा ने हराया था. अभी हाल में उन्हें बंगाल चुनाव को देखते हुए पश्चिम बंगाल एआईसीसी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया था. बंगाल चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई और पार्टी का खाता तक नहीं खुला. कांग्रेस पार्टी ने वाम दलों के साथ गठबंधन किया था, लेकिन यह रणनीति काम नहीं आई. माना जाता है कि बंगाल चुनाव में कांग्रेस की रणनीतियों को लेकर जितिन प्रसाद पार्टी के आला नेताओं के बीच मतभेद पनपे थे. इसका खामियाजा पार्टी को हार के रूप में चुकाना पड़ा.
ब्राह्मण चेतना परिषद्
कभी जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण चेतना परिषद् की स्थापना की थी. वे शुरू से ब्राह्मणों की राजनीति पर फोकस करते रहे हैं. अभी हाल में उन्होंने यूपी के ब्राह्मणों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई का मुद्दा उठाया था. जितिन प्रसाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोप लगाया था कि उनके राज में ब्राह्मणों पर अत्याचार बढ़े हैं. उनकी अगुवाई में ब्राह्मण कल्याण बोर्ड के गठन की मांग भी उठ चुकी है. अब जब वे बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, तो उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी से ब्राह्मणों की नाराजगी को दूर की जा सकेगी.
कुछ दिन पहले जितिन प्रसाद शाहजहांपुर से लखनऊ के लिए निकल गए थे, जब उनके बीजेपी का दामन थामने की पूरी तैयारियां हो गई थीं. लेकिन यूपी के कांग्रेस नेताओं ने उन्हें मना लिया था. इस बार जितिन प्रसाद नहीं मान पाए और वे बीजेपी में शामिल हो गए.