सियासी योद्धाओं की रणनीति ने चंचल को दिलाई बड़ी जीत


(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)।स्थानीय निकाय के एमएलसी चुनाव में ऐसे ही चंचल ने इस बार 2422 वोट पाकर विजयी नहीं हुए, उसके पीछे चंचल के रणनीतिकारों की बड़ी फौज थी। जिन्होंने हर ब्लाक में अपनी अपनी भूमिका अदा की और विपक्ष को चित कर दिया। जमानियां में जहां पूर्व विधायक सुनीता सिंह के पति परीक्षित सिंह भदौरा और जमानियां में मोर्चा संभाला तो वहीं उनके पीछे से सैयदराजा विधायक सुशील सिंह एवं पूर्व विधायक सुनीता सिंह खड़ी रहीं। यही कारण रहा कि चाहकर भी विपक्ष कुछ नहीं कर पाया। यही हाल अन्य ब्लाकों में रहा। सैदपुर में चेयरमैन जिला पंचायत पति पंकज सिंह मोर्चा संभाले रहे तो बिरनो में ब्लाक प्रमुख राजन सिंह ने झंडा गाड़ दिया। चुनाव के दौरान मरदह में विजय यादव ने सपा से किनारा करके सबसे को सोचने पर विवश कर दिया। पूर्व ब्लाक प्रमुख विजय यादव सिर्फ मरदह में ही नहीं बल्कि अन्य ब्लाकों में भी विपक्ष को ललकारते रहे। विजय यादव की इस सियासी अदा ने चंचल की नजरों में सम्मान बढ़ा दिया। इसके साथ ही दूसरे विजय यादव कृष्ण सुदाम ग्रुप तो चंचल के विजय रथ पर सवार रहे। सदर में पूर्व ब्लाक प्रमुख घूरा सिंह ने मोर्चा संभाला। घूरा के जिम्मे करंडा और देवकली भी था। वहां भी उन्होंने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। आज चंचल की टीम में सबसे गंभीर रणनीतिकार शिशुपाल सिंह घूरा को माना जाता है। रेवतीपुर में जहां अजिताभ राय राहुल तो मुहम्मदाबाद में अवधेश राय विपक्ष को ललकारते रहे। वहीं भांवरकोल में आनंद राय मुन्ना ने इस कदर किलेबंदी की थी कि उधर विपक्ष ने नजर भी उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।
यही कारण रहा कि इस चुनाव ने आनंद को चंचल के करीब ला दिया। बाराचवर में अकेले यहां के ब्लाक प्रमुख एवं ब्लाक प्रमुख संघ के जिलाध्यक्ष बृजेंद्र सिंह विरोधियों के खिलाफ गरजना करते रहे। यही कारण रहा कि चंचल को यहां अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी। सीधे सीधे सभी सदस्य बृजेंद्र सिंह के यहां ही दावत उड़ाते रहे। कासिमाबाद में शिवप्रताप सिंह छोटू और राजकुमार की टीम एक एक वोटरों की किलेबंदी करती रही। नरेंद्र सिंह एवं संतोष गुप्ता के साथ ही उनकी कुछ खास लोगों की टीम के साथ ही वह भी लोग थे, जो भाजपा के छोटे एवं बड़े कार्यकर्ता रहे। हर किसी ने यहां पर चंचल की जीत में आहूति दी। सादात में संतोष तो जखनियां में मसाला की टीम का प्रभाव वोटरों के सिर चढ़कर बोलता रहा। जमानियां में चंदन तिवारी की टीम विपक्ष को कमजोर करती रही। इसके साथ ही हिमांशु सिंह, पप्पू सिंह, प्रदीप पाठक और वह भी लोग चंचल की जीत में सहायक बने, जो सपा से सातों सीटों पर भाजपा की हार का बदला सपा से लेना चाहते थे।