सकारात्मक परिवर्तन के लिए बनें छात्रों के साझीदार


वाराणसी(काशीवार्ता)। हम यहां विद्यार्थियों के लिए हैं तथा विद्यार्थी एवं उनका सर्वांगीण विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होना चाहिए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शिक्षकों को अपने पहले संबोधन में कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने यही मंत्र दिया। खचाखच भरे स्वतंत्रता भवन में शिक्षकों के साथ विश्वविद्यालय के विकास के लिए अपनी योजना व मिशन साझा करते हुए प्रो. जैन ने आह्वान किया कि विश्वविद्यालय को आगे ले जाने के उनके प्रयासों में शिक्षक साझीदार बनें। उन्होंने कहा कि संकाय सदस्य विश्वविद्यालय की रीढ़ हैं और उनका ये धर्म है कि वे अपने विद्यार्थियों में आकांक्षाओं तथा क्षमताओं का निर्माण करते हुए ये सुनिश्चित करे कि यहां के विद्यार्थी ऐसे इंसान बन कर विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल करें, जो दूसरों के लिए, समाज के लिए तथा राष्ट्र के लिए कुछ करने का इरादा रखते हों। विश्वविद्यालय के 28वें कुलपति के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद ये पहला मौका था जब कुलपति शिक्षकों से एक साथ संवाद कर रहे थे। विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को याद करते हुए प्रो. जैन ने कहा कि हम सिर्फ महामना के जीवन व आदर्शों को याद न करते रहें, बल्कि उनके सपने को साकार करने के लिए जी जान से कार्य करें, जैसा महामना की अपेक्षा थी। प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान की उन्नति के लिए तीन बातें अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रतिभावान लोगों का संस्थान से जुड़ना, उन्हें प्रगति व उन्नति के लिए संसाधन उपलब्ध कराना तथा उनके उत्साहवर्धन व प्रोत्साहन के लिए स्वस्थ वातावरण देना। उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों के बीच पारस्परिक विश्वास व सम्मान को और सशक्त करने की अपील की। प्रो. जैन ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यपद्धति को और सरल, सुलभ व प्रभावी बनाने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों की भी चर्चा की, ताकि शिक्षण व शोध का बहुमूल्य समय प्रशासनिक अड़चनों में व्यर्थ न हो। उन्होंने इंस्टिट्यूशन आॅफ एमिनेंस के अंतर्गत विद्यार्थियों व शिक्षकों के हित में आरंभ की गई योजनाओं की चर्चा करते हुए बताया कि आने वाले दिनों में और भी नई पहल की जाएंगी। उन्होंने कहा कि चाहे विश्वविद्यालय की विशालता हो, यहां के लोगों की प्रतिभा हो, विषयों की विविधता अथवा पुरा छात्र, ये खासियतें बीएचयू को अपने आप में अनूठा बनाती हैं। हमारी चुनौतियां देश के अन्य विश्वविद्यालयों के समान हो सकती हैं, लेकिन हमारे जैसी विशेषताएं किसी और विश्वविद्यालय के पास नहीं हैं। कुलपति ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों का आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों के साथ अधिक वक्त बिताएं तथा उनकी क्षमताओं व नेतृत्व कौशल को विकसित करने पर काम करें। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए संकायों, पुस्तकालयों व छात्रावासों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन महिला महाविद्यालय की प्रो. पद्मिनी रविन्द्रनाथ ने किया। शिक्षकों से संवाद में समन्वय का कार्य अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. राकेश रमन तथा इतिहास विभाग के डॉ. आशुतोष कुमार ने किया। कुलगुरू प्रो. वी. के. शुक्ला ने स्वागत भाषण दिया व प्रो. सुधीर कुमार जैन के जीवन का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। कुलसचिव प्रो. ए. के. सिंह ने धन्यवाद भाषण प्रेषित किया।