शायद गांधी परिवार ने भी भुला दिया फिरोज को


(शशिधर इस्सर)
वाराणसी (काशीवार्ता)। बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि पं. जवाहर लाल नेहरु के कार्यकाल में संसद में रिपोर्टिंग करना प्रतिबंधित था, परन्तु एक सांसद ने संसद में इस बारे में लड़ाई लड़ी और अन्तत: सरकार को इसकी अनुमति देनी ही पड़ी। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार के नेहरु मंत्रिमंडल के एक सदस्य का आर्थिक घोटाला में नाम आया था। वर्ष था 1957, हरिदास मूंदड़ा नायक (कोलकाता) ने राजनैतिक दबाव डलवा कर अपनी 6 फर्जी कंपनियों में भारतीय जीवन बीमा से 1 करोड़ 86 लाख रुपये का निवेश करवा दिया। इस घपले को रायबरेली से चुने गये सांसद ने उठाया। जांच में पता चला कि नेहरु मंत्रिमंडल के वित्त मंत्री टी.टी. कृष्णाचारी व तत्कालीन वित्त सचिव एच.एम. पटेल द्वारा जीवन बीमा पर दबाव बनाकर धनराशि दी गयी थी। अन्तत: वित्तमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। वित्त सचिव के विरुद्ध कार्रवाई हुई और मूंदड़ा को 22 वर्ष की सजा भी हुई। इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि इन दोनों प्रकरणों को उठाने वाले थे पं. नेहरु के दामाद फिरोज जहांगीर गांधी। यानि स्व. इंदिरा गांधी के पति, जिन्हें एक प्रकार से इतिहास ने भुला दिया है। जिसके परिवार ने देश को तीन-तीन प्रधानमंत्री दिये हो उसे उसका परिवार ही भुला दे यह बात हजम नहीं होती। फिरोज गांधी 2 बार सन 1952 व सन 1957 में सांसद रहें। वे बहुत ही सरल व प्रखर बुद्धि वाले थे।
फिरोज गांधी का जन्म मुंबई के एक मध्यम वर्गीय पारसी परिवार में 12 सितंबर 1912 को हुआ था। पिता की जल्दी मृत्यु के पश्चात यह परिवार इलाहाबाद आ गया। हाईस्कूल की पढ़ाई के बाद जब एक दिन वे कालेज की चारदीवारी पर बैठे थे तभी गांधी जी का अवज्ञा आंदोलन का जुलूस वहां से गुजरा। जिसमें पं. नेहरु की पत्नी कमला नेहरु भी भाग ले रही थीं। वह अचानक बेहोश हो गयीं। फिरोज ने अपने साथियों के साथ पेड़ के नीचे लाकर उनके ऊपर पानी के छींटे डाले और उन्हें आनंद भवन निवास पर ले गये। इसके पश्चात उनका कमला नेहरु से लगाव हो गया और वे उन्हें बेटा मानने लगीं। इन्दिरा गांधी भी फिरोज का सेवाभाव देखती थीं। फिरोज भी महात्मा गांधी से भी मिलने लगे और आंदोलनों में भाग लेना शुरु कर दिया। वे कई साल जेल में रहे। उनके साथ जेल में स्व. लाल बहादुर शास्त्री भी सजा काट रहे थे। इसी बीच कमला नेहरु को टी.बी. हो गयी। इलाज के दौरान फिरोज ही उनके साथ थे। फिरोज ने अपने नाम के आगे गांधी जोड़ लिया था। माता के प्रति सेवाभाव देखकर इन्दिरा के मन में फिरोज के प्रति स्रेह का भाव आ गया। कमला नेहरु के निधन के समय फिरोज ही उनके साथ थे। इसके बाद इन्दिरा और फिरोज दोनों लंदन के आॅक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गये। जहां फिरोज ने उनसे प्रेम निवेदन कर दिया। इन्दिरा की आयु कम थी, परन्तु वे इसे मान गयीं। पं. नेहरु को भी इसे मानना पड़ा और दोनों का विवाह हिंदू रीति-रिवाज से 26 मार्च 1942 को हुआ। परन्तु राजीव और संजय के जन्म के पश्चात पति-पत्नी के रिश्तों में खटास आ गयी। दरअसल इन्दिरा गांधी को उनके ससुराल वाले पसंद नहीं आये। इधर वर्ष 1959 में इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रहते केरल की नम्बूदरी पाद सरकार गिराकर राष्टÑपति शासन लगा दिया। इस पर दोनों में भारी खटपट हो गयी और इन्दिरा पं. नेहरु के निवास तीनमूर्ति (दिल्ली) चली आयीं। एक पिता के रुप में फिरोज गांधी ने ही दोनों पुत्रों को संभाला। सन 1960 की 7 सितम्बर को फिरोज को दिल का गंभीर दौरा पड़ा। इन्दिरा गांधी त्रिवेन्द्रम से उन्हें देखने सीधे अस्पताल पहुंची। फिरोज की 8 सितम्बर को मृत्यु हो गयी। उस समय फिरोज की उम्र 48 वर्ष ही थी। इन्दिरा गांधी ने पति के कुछ संस्कार पारसी रीति से सम्पन्न कराये। उनकी अस्थियों का एक भाग संगम में प्रवाहित हुआ तथा एक भाग सूरत स्थित पैतृक कब्रगाह व दूसरा इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में स्थित कब्रगाह में रखा गया। जहां शायद गांधी परिवार का कोई सदस्य नहीं जाता। उनके निधन के पश्चात इन्दिरा गांधी ने कहा था फिरोज मुझे पसंद नहीं थे परन्तु उससे मैं प्रेम करती थी। इस घटना के पश्चात बहुत वर्षों तक श्रीमती गांधी सफेद परिधान पहनती रहीं।