अजीत सिंह
गाजीपुर (काशीवार्ता)। जिले के तीन बार सांसद एक बार केंद्रीय मंत्री रहे जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्पाल मनोज सिन्हा अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान लोगों से बड़े गर्मजोशी के साथ मिले। यहां तक की प्रोटोकाल तोड़कर भी उन लोगों के घर भी चले गए, जो मनोज सिन्हा के साथ शुरू से रहे थे। उनके इस प्रवास के दौरान सियासी पंडितों ने यह जरूर माना कि 2014 से लेकर 2018 के बीच रहीं कमियों से उन्होंने जरूर सबक लिया और हर आमो खास से मिले, जिनके दिल में एलजी के प्रति रह रहकर प्रेम उमड़ता रहा है। इस दौरान जिसकी आशंका थी, वो दोनों लोग नहीं मिले और न ही उनके समर्थक दिखाई दिए। यही नहीं मनोज सिन्हा के पोस्ट पर उनके समर्थक उन्हीं के जिंदाबाद के नारे सोशल मीडिया पर लगा रहे थे। यानि कश्मीर की वादियों में जाने के बाद भी उन दोनों की सियासी तल्खी इस कड़ाके की ठंड में जिले का पारा गरम कर रही थी।
यह सच है कि पिछड़े जिले में गिने जा रहे गाजीपुर को राष्ट्रीय स्तर पर अगर किसी ने पहचान दिलाई तो उसका नाम मनोज सिन्हा है। जब 2014 में तीसरी बार मनोज सिन्हा भाजपा से सांसद बने तो उन्होंने विकास की नई राह बनाई। यह वह काम किए, जो सिर्फ
बड़े शहरों में देखा जाता था। उनके जमाने में सिटी रेलवे स्टेशन चमकता है। आज यहां उपेक्षा का अंधियारा दिखता है। रेलवे के अधिकारी भी चुप्पी साधे हुए हैं। यही नहीं उनका साथ दे रहे हैं नगर के सामाजिक कार्यकर्ता। अभी तक किसी ने यह आवाज नहीं उठाई कि सिटी रेलवे स्टेशन से सुविधाएं क्यों धीरे धीरे लुप्त हो रही हैं। भाजपा के नेताओं की आंखें भी इस स्टेशन की बदहाली नहीं देखती हैं। करीब 25 हजार करोड़ से जिले को चमकाने वाले मनोज सिन्हा 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए। ऐसा लगा कि मानो गाजीपुर का विकास हारा हो। खैर छोड़िए, एक वर्ष बाद फिर मनोज सिन्हा चर्चा में आए और उन्हें आतंकवाद ग्रस्त राज्य जम्मू एवं कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया दिया गया। उन्होंने रोजगार एवं विकास के साथ ही आतंकवाद पर काबू पाने की हर संभव कोशिश की। वह लहुरीकाशी से जम्मू एवं कश्मीर में अमन और शांति का पैगाम लेकर पहुंचे। इस दौरान वह दो बार जिले में आए। बीते शनिवार को अपना तीन दिवसीय दौरा पूरा करके वह जम्मू रवाना हुए। उनके इस प्रवास के दौरान यह देखने को मिला, कि हर कोई उनसे मिलना चाहता था। खास लोगों को छोड़कर वह भी लोग मिलने पहुंचे थे, जिन्हें इस बात का दुख था कि मनोज सिन्हा के हारने से विकास का पहिया गाजीपुर का थम गया है। कई जगहों पर उन्होंने प्रोटोकाल भी तोड़े। क्योंकि जम्मू एवं कश्मीर का एलजी होने के कारण जेड प्लस सुरक्षा के घेरे में मनोज सिन्हा रहते हैं। उनके इस दौरे के सियासी पंडितों ने अपने अपने हिसाब से तर्क दिए। एक लोगों ने कहा कि पूर्व में ट्रेनों के ठहराव को लेकर दिलदारनगर एवं भदौरा स्टेशनों पर धरना भी लोगों ने दिए थे। मगर उस दौरान रेल राज्यमंत्री के रूप में वह मिलने नहीं गए। हालांकि बाद में उन्होंने सीधे घोषणा करा दी कि ट्रेनें चलेंगी। लेकिन लोगों को इस बात का उस समय मलाल था कि हमारे सांसद हम लोगों से क्यों दूर हैं। इस तरह की छोटी छोटी नाराजगी को अब मनोज सिन्हा देखना नहीं चाहते हैं। इसलिए वह पहले से बदले बदले नजर आए। उनके आगमन के दौरान हजारों गाड़ियों का काफिला एवं हजारों की भीड़ के स्वागत ने मनोज सिन्हा के 2024 की सियासी डगर को और आसान बना दिया।