वाराणसी, । प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पं. राजन मिश्रा का अस्थि कलश शुक्रवार सुबह उनके कबीरचौरा स्थित आवास लाया गया। इसे नयी दिल्ली से उनके छोटे पुत्र रजनीश मिश्र लेकर आए हैं। कलश कुछ देर दर्शनार्थ आवास पर रखा गया।
इसके साथ ही कबीरचौरा की गलियां “पं. राजन मिश्रा अमर रहें” के नारों से गूंज उठीं। नम आंखों से कलाकारों समेत संगीत जगत से जुड़े लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की। अस्थि कलश विसर्जन के लिए गंगा घाट ले जाया गया। अस्सी घाटों पर बजड़े पर बैठ कर लोग मणिकर्णिका के आगे अस्सी तक गए जहां विधि-विधान से अस्थि कलश विसर्जित किया गया।
अस्सी घाट के सामने बीच गंगा में पं . राजन मिश्र का अस्थि कलश विसर्जन किया गया। पं. रजनीश मिश्र ने पूरे विधान को वीडियो काल पर अपनी मां व परिवारीजन को भी दिखाया। इससे पहले कबीरचौरा स्थित उनके आवास पर लोगों ने उनके अस्थि कलश पर पुष्प अर्पित किया और विसर्जन के लिए जाते समय पुष्प वर्षा की।
एक समय वह था जब प्रख्यात शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पंडित राजन मिश्र की जादुई आवाज अपने भाई साजन के साथ असि घाट पर गूंजती थी। लोग घाट की सीढ़ियों पर बैठकर अपने राजन-साजन को सुनते थे उन्हीं में से एक राजन की अस्थियां इस घाट पर मां गंगा की गोद में शुक्रवार को विसर्जित की गईं। यह एक दुःखद क्षण ही था जब इस महान शास्त्रीय गायक की अस्थियों का विसर्जन संगीत प्रेमियों और परिवारीजनों ने अश्रुपूर्ण नयनों से मां गंगा की धार में प्रवाहित किया।
राजन मिश्र का अस्थिकलश उनके कबीर चौरा स्थित आवास से कार के द्वारा असि घाट पर लाया गया। इसके बाद कलश को नाव पर रखकर बीच गंगा में ले जाया गया। उनके छोटे पुत्र रजनीश मिश्र ने धार्मिक विधिविधान के साथ अस्थियों का विसर्जन बीच गंगा में किया। इस दौरान उन्होंने यहां नाव पर सम्पन्न हो रहे धार्मिक विधिविधान को दिल्ली में मौजूद अपनी माता समेत चाचा प्रख्यात गायक साजन मिश्र और भाई रितेश मिश्र को वीडियो कॉलिंग के माध्यम से दिखाया।
इसके पूर्व अस्थिकलश को राजन-साजन मिश्र के कबीर चौरा स्थित आवास पर दर्शनार्थ रखा गया था। वहां संगीत प्रेमियों ने उनके चित्र समेत कलश पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धाजंलि दी। इसके बाद अस्थिकलश यात्रा कबीर चौरा की हेरीटेज वाक गली में निकाली गई जो मुख्य सड़क तक गई। अस्थि कलश यात्रा में लोग राजन मिश्र अमर रहे का नारा लगाकर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धाजंलि ज्ञापित कर रहे थे। अस्थि कलश को मुख्य सड़क से चार पहिया वाहन सेअसि घाट लाया गया।