रसूखदार चिकित्सक के पंजे में मानसिक अस्पताल


वाराणसी (काशीवार्ता)। मनोरोगियों का समुचित उपचार कर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से पाण्डेयपुर में स्थापित मानसिक चिकित्सालय इन दिनों अपने मूल उद्देश्य से ही भटककर दुर्व्यवस्थाओं का शिकार हो गया है। मरीजों को निम्न श्रेणी के भोजन से लगायत इस भीषण गर्मी में भी हवा-पानी के अभाव संग प्रताड़ना यहां की नियति बन गयी है। यही नहीं अस्पताल में संबंधित दवा की उपलब्धता के बावजूद बाहर की दवा लिखना भी यहां की दिनचर्या में शामिल है। यह सब यहां विगत लगभग दो दशकों से तैनात एक वरिष्ठ परामर्शदाता की शह पर हो रहा है। इसके विपरीत इन सभी दुर्व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार अस्पताल की निदेशिका भी यहां महज कठपुतली बनकर रह गयी हैं। हाल यह है कि वरिष्ठ परामर्शदाता डा. अमरेन्द्र कुमार के इशारे पर ही पूरा अस्पताल चल रहा है। ओपीडी में ज्यादा से ज्यादा मनोरोगियों को देखने से लेकर अस्पताल की सारी व्यवस्थाओं पर इसी चिकित्सक का वर्चस्व कायम है।
बता दें कि मानसिक अस्पताल में विगत दिनों हुई पांच मरीजों की मौत व तीन कैदियों के फरार होने की घटना ने अस्पताल की पोल पहले ही खोल कर रख दी है। डीएम ने खुद अस्पताल पहुंचकर यहां की स्थिति भी जानी। सीएमओ व एडीएम प्रोटोकाल से अस्पताल की जांच भी कराई। इसके बावजूद वरिष्ठ चिकित्सक द्वारा बाहर की दवा लिखी जा रही है। सूत्रों का कहना है कि अस्पताल की सारी व्यवस्थाओं पर डा. अमरेन्द्र का काकश ही काम कर रहा है। निदेशिका की बात मातहत नजरअंदाज कर देते हैं। ओपीडी पर्ची काउंटर पर तैनात एक क्लर्क निदेशिका के हटाने के बावजूद लगातार अपने पद पर कायम है और पर्ची काटने के बाद रोगियों को डा. अमरेन्द्र के पास जाने को मजबूर करता है। यही नहीं अन्य विभागीय कर्मियों पर भी इसी चिकित्सक का दबाव रहता है। 20 वर्षों से तैनात डा. अमरेन्द्र के रसूख का यह आलम है कि पर्ची पर बाहर की दवा लिखने के कारण मानसिक अस्पताल के इर्द-गिर्द दर्जनों दवा की दुकानें आबाद हो चुकी हैं। यही नहीं अस्पताल के गेट पर व अंदर दलालों का भी जमावड़ा बना रहता है। लोगों का कहना है कि कई सरकारें आयी व गयीं लेकिन डा. अमरेन्द्र कभी यहां से स्थानान्तरित नहीं हुए। बल्कि इस दौरान उनके पास आधा दर्जन से ज्यादा बार निदेशक का चार्ज भी रहा। इन दिनों अस्पताल में जिस तरह का माहौल बना है उसमें प्रशासनिक सख्ती के कारण मरीजों के खाने से लेकर रात में चिकित्सकों की ड्यूटी तक में सख्ती बरती जा रही है, लेकिन पता यह चला है कि इसमें भी डा. अमरेन्द्र अपने हिसाब से चिकित्सकों की तैनाती करवाकर अपना सिक्का कायम किये हुए हैं, जिससे अस्पताल के दूसरे डाक्टरों में रोष है।