राजभर से गठबंधन के बाद सपा में दिग्गजों के गिरेंगे विकेट!


अजीत सिंह

गाजीपुर (काशीवार्ता)। पूर्वांचल की एक सौ पचास सीटों पर अपना मजबूत प्रभाव रखने वाले ओमप्रकाश राजभर के अखिलेश से सियासी गठबंधन करने के बाद गाजीपुर के कई सपा के दिग्गजों का विधानसभा चुनाव में विकेट गिरने तय है। यानि उन्हें इस बार टिकट नहीं मिलेगा। जहूराबाद, जखनियां के बाद ओमप्रकाश राजभर सदर विधानसभा की सीट पर सुभासपा का उम्मीदवार उतारना चाहते हैं। जिस पर अखिलेश ने अपनी हामी भर दी है। ऐसी स्थिति में इन तीनों विधानसभा में सपा के दिग्गज नेताओं को अब सरकार बनने के बाद समायोजन तक इंतजार करना पड़ेगा। मुहम्मदाबाद से अंसारी बंधुओं के किसी भी एक व्यक्ति का सपा से लड़ना लगभग तय है। इसको लेकर सपा में हलचल कम बेचैनी अधिक देखने को मिल रही है। मऊ जनपद के हलधरपुर में सुभासपा की रैली में जुटी अपार भीड़़ में पहुंचे अखिलेश यादव ने भाजपा की योगी सरकार के खिलाफ बड़ा बिगुल बजाते हुए मास्टर स्ट्रोक मारा है। इस रैली में बड़ी संख्या में पूर्वांचल के जिलों से सपाई भी पहुंचे थे। इसके बाद यह चर्चा तेज हो गई कि आखिर ओमप्रकाश राजभर किन किन सीटों पर अपनी दावेदारी ठोंकेंगे। गाजीपुर जिले की सीटों की बात की जाए तो खुद ओमप्रकाश राजभर जहूराबाद से विधायक हैं। साथ ही उनकी ही पार्टी से जखनियां से त्रिवेणी राम भी विधायक हैं। इन दोनों सीटों के अलावा ओमप्रकाश चाहते हैं कि उन्हें सदर सीट भी मिले। सदर सीट के प्रबल दावेदार रहे राजेश कुशवाहा को अखिलेश ने प्रदेश सचिव बनाकर उनकी दावेदारी पर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है। इसके अलावा राधेमोहन सिंह कहां से चुनाव लड़ेंगे, इस पर भी सस्पेंस बरकरार है। देखा जाए तो पूरे पूर्वांचल में राजभर वोट अगर सबसे अधिक जहूराबाद में हैं। इस लिहाज से ओमप्रकाश जहूराबाद की सीट नहीं छोड़ेंगे। शिवपाल की पार्टी की शादाब फातिमा को भी प्रदेश स्तर पर अखिलेश शिवपाल के निर्णय पर ही उनका सियासी भविष्य टिका है। इसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए बसपा से सपा में आए पूर्व विधायक कालीचरण राजभर भी ओमप्रकाश के आने के बाद काफी बेचैन हैं। क्योंकि उन्हें पार्टी अब किसी भी कीमत पर मैदान में नहीं उतारेगी। हां इतना जरूर हो सकता है कि सरकार बने तो एमएलसी की सूची में शामिल किया जा सकता है। सियासी जानकार मानते हैं कि कालीचरण ने बसपा छोड़ कर बड़ी सियासी भूल की है। यह भी चर्चा है कि इस विधानसभा में सपा के एक राजभर नेता भाजपा में भी ताकझाक कर रहे हैं। जंगीपुर विधानसभा से विधायक डा. वीरेंद्र अपने क्षेत्र में डैमेज कंट्रोल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो उनके टिकट कटने की संभावना ना के बराबर है। लेकिन यदुवंशियों में उनको लेकर खासी नाराजगी है। अगर टिकट भी वीरेंद्र का कटता है तो सपा वहां पर यादव चेहरा ही मैदान में उतारेगी। जमानियां से पूर्व मंत्री को सपा इसलिए उतारेगी कि क्योंकि वह एक राजपूत चेहरा हैं। साथ ही अंसारी बंधुओं के सपा में लाने में ओमप्रकाश सिंह एवं अंबिका चैधरी ने ही बड़ी भूमिका अदा की थी। अखिलेश इसका टिकट के रूप में इनाम देंगे। यह उनके समर्थकों के लिए राहत भरी खबर है। सैदपुर से विधायक सुभाष पासी ने दादा के परिवार का विरोध करके वहां पर यदुवंशियों को दो खेमों में बांट दिया है। एक खेमा उनकी जय जयकार कर रहा है तो दूसरा खेमा उन्हें मुंबई का बाबू कह रहा है। सपा नेता चंद्रिका यादव कहते हैं कि सुभासपा के गठबंधन करने से पार्टी को गाजीपुर समेत पूर्वांचल की करीब 150 सीटों पर बड़ा लाभ मिलेगा। जिससे अखिलेश के सीएम बनने का मार्ग प्रशस्त होगा।