रामभक्त कल्याण के लिए योगी ने नहीं ली एक भी झपकी


वाराणसी (काशीवार्ता)। राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के दिग्गज नेता कल्याण सिंह के निधन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने जिस जीवटता व कर्मठता के साथ राम के अनन्य भक्त के लिए बिना झपकी लिए लखनऊ से अलीगढ़ तक खुद कमान संभाली, वो वास्तव में किसी साधारण मानव के लिए संभव नहीं। मुख्यमंत्री होते हुए भी उन्होंने न प्रोटोकाल देखी, न ही अपना कद। कल्याण के लिए वे जिस तरह अस्पताल से लेकर घर व घर से विधानसभा एवं अलीगढ़ तक जिस मुस्तैदी से डटे रहे वो हर किसी भाजपा कार्यकर्ता के साथ प्रदेश की जनमानस के दिल को छू गया। वो हर जगह डटे दिखे। उन्होंने कहीं भी कल्याण के पार्थिव शरीर को अपनी कमी महसूस नहीं होने दी।
इससे पहले शनिवार देर शाम सीएम योगी दो बार कल्याण सिंह के घर गए। उसके पहले योगी कई बार कल्याण सिंह को देखने एसजीपीजीआई अस्पताल गए थे। उन्होंने कल्याण सिंह के गुजर जाने के बाद मंत्रियों की ड्यूटी तक लगाई। खुद भी व्यवस्था पर पूरी नजर रखे हुए हैं। सीएम योगी ने शनिवार रात 11:30 बजे कैबिनेट की बैठक बुलाई। फिर रविवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रिसीव करने के लिए लखनऊ के अमौसी एयरपोर्ट पहुंचे। एयरपोर्ट से कल्याण सिंह के घर मॉल एवेन्यू पर पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी के दिल्ली जाने के बाद सीएम योगी फिर से कल्याण सिंह के घर पहुंचे। जहां से कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए यूपी विधानमंडल और पार्टी कार्यालय लाया गया। योगी उस दौरान दोनों जगह की व्यवस्था की देखरेख करते नजर आए। रविवार शाम एयर एंबुलेंस से कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव अतरौली लाया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव भी पार्थिव देह के साथ हेलीकॉप्टर में अलीगढ़ पहुंचे थे। अलीगढ़ पहुंचकर सीएम योगी ने अहिल्या बाई स्टेडियम का जायजा लिया। इस दौरान सीएम अधिकारियों को निर्देश देते नजर आए। वे दिनभर स्टेडियम में ही पूरी टीम के साथ बैठ कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को समय-समय पर निहारते रहे। एक रामभक्त का जाना, दूसरे रामभक्त के लिए कितना करुणामयी होता है यह योगी आदित्यनाथ की सक्रियता ने बता दिया। अयोध्या में राम मंदिर मूर्त रुप तो नहीं ले सका है, लेकिन राम मंदिर का काम शुरु हो गया है और भगवान राम तंबू से निकलकर चांदी के पालने में विराजमान हो गये हैं। कल्याण सिंह की अंतिम इच्छा यही थी कि उनके जीते जी राम मंदिर का निर्माण शुरु हो जाये, जो हो भी गया। उनकी अंतिम इच्छा यह भी थी कि उनके रग-रग में भाजपा है और मरने के बाद भी भाजपा के झण्डे में लिपटकर ही उनकी अंतिम यात्रा निकले। इन्ही इच्छाओं को मूर्त रुप देने में योगी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन से लेकर अंतिम संस्कार तक मुख्यमंत्री योगी ने जितना समय व जिन तैयारियों को पूर्ण कराया है वो आने वाली पीढ़ियों के लिए भाजपा में मील का पत्थर साबित होगी। ऐसी उम्मीद शायद जीते जी कल्याण सिंह को भी नहीं रही होगी, जितना योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन के बाद कर दिखाया। योगी के इसी रामभक्त के प्रति श्रद्धा की चर्चा आम आदमी भी कर रहा है।