भारत एक बार फिर से चीता युक्त होने जा रहा है। विलुप्त हो चुके चीते को फिर से भारत में स्थापित करने की तैयारी हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के शुभ अवसर पर 17 सितंबर को मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो पालपुर नेशनल पार्क में 3 बॉक्स खोलकर चीतों को क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ेंगे। इसके लिए पूरी तैयारियां शुरू की जा चुकी है। चीतों को नामीबिया से भारत लाया जा रहा है। चीतों की पहली झलक भी सामने आ चुकी है। इसको लेकर भारत और नामीबिया सरकार के बीच 20 जुलाई 2022 को एक अनुबंध हुआ था। पहले ही पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सभी तैयारियों का जायजा ले चुके हैं।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि 17 सितंबर मध्यप्रदेश के लिए ऐतिहासिक दिन है, इस माननीय प्रधानमंत्री जी पधार रहे हैं। चीता जो न केवल भारत बल्कि एशिया महाद्वीप से विलुप्त हो गया था अब यहां उनका पुनर्स्थापन होगा। आवश्यक सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के अधिकारी पूरे समर्पण के साथ प्राणपण से इस काम में लगे हुए हैं। चीता परियोजना प्रमुख एसपी यादव ने बतया कि चीते बोइंग 747 फ्लाइट की चार्टर्ड कार्गो फ्लाइट से लाए जा रहे हैं। इस विमान को इसलिए चुना गया है ताकि ईंधन भरने के लिए उड़ान को रुकना न पड़े और सीधे भारत पहुंच सके। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्रत्येक चीता पर उनके जियोलोकेशन अपडेट के लिए सैटेलाइट रेडियो कॉलर लगाए गए हैं जिनकी निगरानी की जाएगी। प्रत्येक चीता को एक समर्पित निगरानी टीम भी दी जाएगी जो इसकी निगरानी करेगी, इसकी गश्त करेगी, हमें इसकी किसी भी गतिविधि से अवगत कराएगी। एसपी यादव ने कहा कि पीएम 3 चीतों को क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ेंगे। बाकी को उनके अलग क्वारंटाइन बाड़ों में छोड़ा जाएगा।
मालवाहक विमान से आठ चीते 17 सितंबर को राजस्थान के जयपुर ले जाए जाएंगे। इनमें पांच मादा और तीन नर चीते हैं। इसके बाद जयपुर से वे हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में अपने नए बसेरे कुनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाए जाएंगे। चीतों को भारत ले जा रहे विमान में कुछ बदलाव किए गए हैं ताकि उसके मुख्य केबिन में पिंजरों को सुरक्षित रखा जाए लेकिन उड़ान के दौरान पशु चिकित्सक चीतों पर पूरी तरह नजर रख सकेंगे। विमान को एक चीते की तस्वीर के साथ पेंट किया गया है। यह विशाल विमान 16 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और इसलिए ईंधन भरवाने के लिए कहीं रुके बिना नामीबिया से सीधे भारत जा सकता है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त करार दे दिया था। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी चीता दिखा था। भारत ने 1970 के दशक से ही इस प्रजाति को फिर से देश में लाने के प्रयास शुरू कर दिए थे और इसी दिशा में उसने नामीबिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
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