तैयार हो रही गैंगवार की पृष्ठभूमि?


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। विशेश्वरगंज में रविवार को हुए गोलीकांड को भले ही पुलिस दो पक्षों का विवाद बताकर मामले की लीपापोती करने का प्रयास कर रही हो, लेकिन जानकारों का कहना है कि यह तो बस एक शुरूआत है, इस विवाद में अगर पुलिस ने तत्काल ठोस कदम नहीं उठाया तो आगे बड़ी घटना होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।रविवार को पार्षद अंकित यादव के ऊपर लक्ष्य करके गोली चलाई गयी थी जो उसे न लगकर उसके दो अन्य साथियों को लगी।पुलिस का रवैया शुरू से लीपापोती वाला रहा। पुलिस ने पहले गोली चलने की घटना से इंकार किया और कहा कि घायल व्यक्ति का हाथ कार के शीशे से कट गया है। जब पुलिस को कारतूस का खोखा दिखाया गया तो मजबूरी में हत्या के प्रयास का मुकदमा लिखना पड़ा। जिस पार्षद अंकित यादव के ऊपर गोली चलने की बात कही जा रही है उसके पिता बंशी यादव भी पार्षद थे । लगभग दो दशक पहले जिला जेल के गेट के अंदर उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। बंशी यादव के ऊपर किसी महेश यादव नमक अपराधी की हत्या का आरोप था।महेश यादव कुख्यात अपराधी बाबू यादव और अन्नू त्रिपाठी का दोस्त था और उसके ऊपर दोनों का शरणदाता होने का भी आरोप था। महेश यादव ने बंशी यादव के किसी परिचित की हत्या की थी। महेश यादव की हत्या का बदला अन्नू त्रिपाठी और बाबू यादव ने बंशी यादव को मौत के घाट उतार कर लिया। दोनों ने फिल्मी स्टाइल में बंशी यादव का कत्ल किया। बताया जाता है कि दोनो ने बंशी यादव को जिला जेल के गेट पर बुलाया। चूंकि बंशी यादव की जेल में तूती बोलती थी सो वह बिना रोकटोक जेल के गेट तक आ गया। अन्नू त्रिपाठी, बाबू यादव ने बाहर से ही बंशी पर गोली चलाई और उसे ढेर कर दिया।इसके बाद दोनो बिना रोकटोक भाग निकले। बनारस के अपराधिक इतिहास की यह एक अनोखी और सनसनीखेज घटना थी। बंशी यादव की हत्या के आरोप में अन्नू त्रिपाठी जेल में बंद हुआ। विधि का विधान देखिए कि उसी जिला जेल में अन्नू त्रिपाठी को भी गोलियों से छलनी कर दिया गया ।अन्नू त्रिपाठी को संतोष किट्टू ने गोली मारी। अन्नू त्रिपाठी, बाबू यादव आदि अपराधी माफिया डान मुन्ना बजरंगी गैंग के खास शूटर थे। बताया जाता है कि मुन्ना बजरंगी का सेनापति कृपा चौधरी अपराधियों की नर्सरी चलाता था। अन्नू त्रिपाठी, बाबू यादव आदि अपराधियों ने कृपा के इशारे पर बनारस में अनेक सनसनीखेज हत्याओं को अंजाम दिया था जिसमें नटराज सिनेमा हाल के मालिक लक्ष्मण सेठ की हत्या भी शामिल थी। मुन्ना बजरंगी गिरोह ने ही नरिया हत्याकांड को अंजाम दिया था जिसमें काशी विद्यापीठ के छात्र नेता सुनील राय, रवि प्रकाश पांडेय सहित चार लोग मारे गए थे। मुन्ना बजरंगी गिरोह के लोगों ने मलदहिया पर कांग्रेस नेता अनिल राय सहित चार लोगों को एके 47 से गोलियां बरसा कर मौत के घाट उतार दिया था। अनिल राय ,सुनील राय के बड़े भाई थे। अन्नू त्रिपाठी का कभी विशेश्वरगंज में एक छत्र साम्राज्य हुआ करता था। उसके एक इशारे पर व्यापारी लाखों की रंगदारी पहुंचा देते थे। कहा जाता है कि जब अन्नू त्रिपाठी के मारे जाने की खबर मिली तो व्यापारियों ने मिठाईयां बांटी थी। लंबे अंतराल के बाद उसी विशेश्वरगंज में रविवार को हुए गोलीकांड ने पुराने कांडों की यादें फिर ताजा कर दी है लोग यह सोचने को मजबूर हैं कि कहीं यह किसी नए गैंग वार की शुरूआत तो नहीं।