बाढ़ पीड़ितों के लिए रेस्क्यू करना एनडीआरएफ के लिए बड़ी चुनौती


वाराणसी (काशीवार्ता)। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों में लगातार मानसून सक्रिय है और बारिश होने की वजह से नदियां तेजी से बढ़ रही हैं। गंगा समेत कई नदियों में लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। इस कारण आने वाले दिनों में बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। ऐसें में राष्ट्रीय आपदा मोचन दल (एनडीआरएफ) अपनी पूरी तैयारी कर रहा है। इस बार एनडीआरएफ के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ कोरोना से खुद को सुरक्षित रखना है तो वहीं दूसरी ओर बाढ़ पीड़ितों को बचाना भी है। अपनी तैयारी एनडीआरएफ की टीम ने मॉक ड्रिल कर प्रदर्शित की है। सुदूर इलाकों से लेकर गांव-देहात तक में बाढ़ का पानी घुसने के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन दल (एनडीआरएफ) के जिम्मे लोगों को बचाने की जिम्मेदारी रहती है। 11 एनडीआरएफ बटालियन का हेड क्वार्टर वाराणसी में है। हर गंभीर परिस्थिति से निपटने के लिए दशाश्वमेध घाट पर एक टीम को विशेष तौर पर तैनात किया गया है। साल के 365 दिन ये टीम तैनात रहती है। बारिश के चलते अब नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। इस बार कोविड-19 से खुद को सुरक्षित रखने के साथ-साथ लोगों को आपदा से सुरक्षित बचाना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए इस बार एनडीआरएफ की रेस्क्यू टीम को दो भागों में बांटा गया है। एक भाग के कर्मी पीपीई किट पहनकर अलग रबर बोट के सहारे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मौजूद रहेंगे और लगातार गश्त भी करते रहेंगे। हाथों में थर्मल स्कैनर और सैनिटाइजर की बोतल के साथ जवान लोगों को बचाएंगे। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी और नार्मल पाए जाने वाले लोगों को अलग नाव से लाया जाएगा। वहीं कोरोना संदिग्ध लोगों को सुरक्षित स्थान पर लाने के लिए पीपीई किट पहनाई जाएगी और फिर उन्हें अलग नाव से सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया जाएगा। जहां इनकी जांच कर इलाज शुरू किया जाएगा।
सामने आने वाली हैं कई चुनौतियां
एनडीआरएफ टीम की कमान संभालने वाले एनडीआरफ इंस्पेक्टर नितिन कुमार का कहना है कि यह दौर बहुत कठिन है, क्योंकि जिम्मेदारी खुद को सुरक्षित रखने के साथ दूसरों की जिंदगी बचाने की है। हर जवान को पीपीई सूट, चश्मे, मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया है। हर जवान इस बात का विशेष ध्यान रखेगा कि रेस्क्यू के दौरान बाढ़ में फंसे लोगों की पहले प्रॉपर स्क्रीनिंग की जाए और फिर उन्हें जरूरत के हिसाब से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाए। सबसे बड़ा चैलेंज है कि भीषण गर्मी में पीटीआई किट पहनकर जवानों को रेस्क्यू करना।