आरपी घाट पर कल सजेगी महामूर्खों की महफिल


वाराणसी(काशीवार्ता)। महामुर्ख सम्मेलन का आयोजन अपने 54वें स्वर्णिम वर्ष में है। स्व. धर्मशील चतुर्वेदी, स्व. चकाचक बनारसी और पं0 सुदामा तिवारी साँड़ बनारसी ने इसकी नींव रखी थी। शनिवार गोष्ठी साहित्यिक संस्था के बैनर तले अपने ढंग का ये अनूठा आयोजन प्रत्येक वर्ष पहली अप्रैल को राजेन्द्र प्रसाद घाट पर होता है। मूर्खों की मान्यता है कि व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी मूर्खता विवाह होता है। अत: आयोजन का श्रीगणेश नगर के किसी प्रतिष्ठित जोड़े के विवाह से होता है। आदमी बाकायदा साड़ी पहन कर, लाली लिपिस्टिक पोत कर दुल्हिन बनता है और औरत को अपने जीवन में एक बार दूल्हा बनने का गौरव हासिल होता है। काशी के अड़भंगी पुरोहितों द्वारा गड़बड़ मंत्रोचार से होता है दोनों का विवाह और फिर अगले ही पल छुट्टम-छुट्टा भी। किसी विलुप्त होते लोकनृत्य की प्रस्तुति नगाड़ों के थाप पर दिखाई देती है। देश के कोने कोने से पधारे हास्य के धाकड़ रचनाकार आधी रात तक जो समा बाँधते हैं कि नगरवासी मनहूसियत से कोसो दूर चले जाते हैं। शनिवार गोष्ठी के पदाधिकारियों में वर्तमान अध्यक्ष जगदम्बा तुलस्यान, उपाध्यक्ष द्वय श्याम लाल यादव व रामेशदत्त पाण्डेय, सचिव साँड़ बनारसी, सांस्कृतिक मंत्री नंदकुमार टोपीवाले और मीडिया प्रभारी दमदार बनारसी के अलावा सहयोगियों की एक लंबी फेहरिस्त जिसमें विवेक सिंह, विवेक शंकर तिवारी, आलोक शुक्ल, रामू पाण्डेय, दिलीप तुलस्यानी, प्राशान्त सिंह, आदि नाम प्रमुख हैं। इस बार का आयोजन डा. दीपक मधोक (सनबीम ग्रुप) के मुख्य आतिथ्य और राजेन्द्र कुमार वशिष्ठ, पंजाब नेशनल बैंक, अंचल प्रमुख, अंचल कार्यालय वाराणसी, प्रमोद रंजन तूफान, पंजाब नैशनल बैंक, उप अंचल प्रमुख, अंचल कार्यालय वाराणसी, विष्णु कांत शर्मा एवं प्रदीप झा, अंचल कार्यालय वाराणसी, के विशिष्ट आतिथ्य में सम्पन्न होगा। दूल्हा-दूल्हन सीधे मण्डप में ही प्रकट होंगे। इस महामूर्ख मेला में सम्मिलित होने वाले कवि अमित मिश्रा (प्रयागराज), राधेश्याम भारती (प्रयागराज), श्यामलाल यादव (बनारस), फजीहत गहमरी (गाजीपुर), धर्मराज उपाध्याय (उन्नाव), प्राशान्त सिंह (बनारस), प्रमोद पंकज (बाराबंकी), अजीत शुक्ला (हरदोई), के अलावा भी नगर के रचनाकार शामिल होंगे। संचालन की जिम्मेदार हरबार की तरह दमदार बनारसी की होगी।