(अजीत सिंह )
गाजीपुर (काशीवार्ता)। सपा ने सदर विधानसभा सीट पर वैश्य वोटरों में सेंधमारी करने के लिए इसी समुदाय से आने वाले जैकिशुन साहू को मैदान में उतारकर भाजपा की सीट फंसा दी है। यही कारण है कि इस सीट पर इस बार वैश्य वोटरों की अग्निपरीक्षा होगी। यहां से योगी सरकार की सहकारिता राज्यमंत्री डा. संगीता बलवंत उम्मीदवार हैं। अब यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या वैश्य समुदाय के लोग भाजपा की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे या भाजपा की परंपरा को तोड़ते हुए साइकिल की सवारी करेंगे। इसको लेकर सदर सहित पूरे जिले में जबरदस्त चर्चा चल रही है।
सदर विधानसभा के जातिगत आकड़ों को समझा जाए तो यहां पर सर्वाधिक संख्या बिंद और मल्लाह बिरादरी की आती है। दूसरे नंबर पर दलित तो तीसरे नंबर पर यादव समाज के लोगों का वोट है। मुस्लिम भी हमेशा से 25 से 30 हजार के बीच में ही आते रहे हैं। इस बार सदर विधानसभा के वोटरों की संख्या तीन लाख 62 हजार 26 वोटर हैं। इसमें करीब एक लाख वोटर नगर क्षेत्र में बताए जाते हैं। पिछले चुनाव में भाजपा से चुनाव जीतीं संगीता बलवंत को 91 हजार वोटों में 22 हजार वोट अकेले नगर क्षेत्र से मिला था। उन्होंने करीब 32 हजार वोटों से सपा उम्मीदवार रहे राजेश कुशवाहा को हराया था। जीत का इतना बड़ा अंतर इस चुनाव में भाजपा को मिलना मुश्किल है। मगर जिस प्रत्याशी को सपा ने सदर सीट से उम्मीदवार बनाया है, वह पूरी तरह से समाजवादी के साथ ही वैश्य बिरादरी का बड़ा नेता भी बताया जा रहा है। यादव, मुसलमान के साथ ही कुशवाहा और बिंदों में भी सपा का जनाधार अशोक बिंद की वजह से रहा है। यादव और मुस्लिम वोटों के ध्रवीकरण की संभावना नाममात्र की है, लेकिन राजपूत, ब्राम्हण और भूमिहार वोटों में इस बार के चुनाव में धु्रवीकरण की संभावना अधिक बताई जा रही है। इसका मूल कारण यह रहा है कि बसपा ने भाजपा के वोटों में सेंधमारी करने के लिए राजकुमार गौतम को मैदान में उतारा है। करंडा ब्लाक के जिस गांव से राजकुमार आते हैं वहां पर राजपूतों की संख्या अधिक है।
इस लिहाज से ऐसी संभावना बन रही है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में 241 वोटों से हारे राजकुमार गौमत को सहानुभूति का भी वोट मिलेगा। वहीं भाजपा की संगीता बलवंत से सवर्ण मतदाता अंदर अंदर ही नाराज बताया जा रहा है। यही कारण रहा कि निर्दल चुनाव लड़ने का एलान करके पर्चा भरने वाले अरूण सिंह के घर संगीता बलवंत तब पहुंची, जब अरूण का प्रचार खारिज कर दिया गया। हालांकि संगीता को वहां पर अरूण सिंह की पत्नी शीला सिंह ने हाथों हाथ लिया और समर्थन देने की घोषणा करके योगी को सीएम बनाने का एलान करके भाजपा प्रत्याशी को थोड़ी राहत तो जरूरी दी। लेकिन बसपा प्रत्याशी को कमजोर आंकने वाले लोगों को यह समझना पड़ेगा कि 2012 के विधानसभा चुनाव जब परिणाम आए तो अरूण सिंह को 41567 वोट मिले जबकि दूसरी नंबर रहे बसपा के राजकुमार को 49320 और सपा के विजय मिश्रा 49561 वोट प्राप्त करके 241 वोट से विजयी घोषित हुए थे। अब अरूण सिंह मैदान में नहीं हैं।
इसका लाभ कहीं न कहीं बसपा प्रत्याशी को मिलेगा। साथ ही जैकिशुन साहू भी भाजपा की जीत में रोड़ा बनते हुए 40 हजार के करीब वैश्य वोटरों को आकर्षित करके भाजपा की चिंता को धीरे धीरे बढ़ाने में जुटे हैं। इसके साथ साथ अंदर से नाराज चल रहे पूर्व चेयरमैन विनोद अग्रवाल की नाराजगी भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए काफी होगी।