वाराणसी(काशीवार्ता)। आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को श्री सर्वेश्वरी समूह देव स्थानम पड़ाव, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अपने आशीर्वचन में परमपूज्य औघड़ गुरुपद संभवराम ने कहा कि गुरु कोई हाड़-मांस का शरीर नहीं होते हैं, गुरु वह पीठ है जहाँ से ज्ञान दिया जाता है। हमलोग जो देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा करते हैं, उसमें आत्मा की प्रतिष्ठा नहीं होती है। पराप्रकृति मां भगवती का या परमपूज्य अघोरेश्वर के मुद्राओं का ध्यान हम इसलिए करते हैं कि हममें भी वह आत्मभाव आये। उस ईश्वर में कुछ होता नहीं है, उसका न कोई रूप है, न रंग है, न आकृति है। हमारी जो सोच है, हमारी जो ध्यान-धारणा है, हम उसको सही ढंग से कर नहीं पा रहे हैं। हम आगंतुक विचारों को अपने में समाहित करते रहते हैं तो उस कचरे के चलते हम उन संकेतों को समझ नहीं पाते हैं। आत्मभाव से ही मुक्ति संभव है। जो आत्मभाव में रहता है वह किसी से घृणा, ईर्ष्या, द्वेष नहीं रखता है। देहबुद्धि वाले को ही यह सब होता है। ऐसे लोग जिनका मन-मस्तिष्क मलिन है, जो परा-प्रकृति में विश्वास नहीं करते हैं। जो लोग महापुरुषों के विचारों को सुने नहीं हैं, मनन नहीं किये हैं, मंथन नहीं किये हैं, ऐसे मनुष्यों में वह चीज आती ही नहीं, वह विपरीत दिशा में चला जाता है। हमें तो अपने ऊपर दया करनी है, अपनी पूजा करनी है ताकि हमसे कोई गलत कार्य न हो। गुरुपूर्णिमा के अवसर पर आयोजित सायंकालीन गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व अपर स्वास्थ्य निदेशक डॉ. वी.पी. सिंह, डॉ. उदय प्रताप सिंह, उदय नारायण पाण्डेय, राजीव कुमार रानू एवं भोलानाथ त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक किये। संचालन डॉ. बामदेव पाण्डेय तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था के व्यवस्थापक हरिहर यादव ने किया। मंगलाचरण यशवंत नाथ शाहदेव ने किया।
सर्वेश्वरी समूह का 62वां वार्षिक अधिवेशन संपन्न
वाराणसी(काशीवार्ता)। अघोर पीठ, श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम के पुनीत प्रांगण में मंगलवार को श्री सर्वेश्वरी समूह का 62वां अखिल भारतीय वार्षिक अधिवेशन का शुभारम्भ ओमप्रकाश तिवारी द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। समूह के अध्यक्ष पूज्यपाद बाबा औघड़ गुरुपद संभव राम की अध्यक्षता में हुए इस सम्मलेन में संस्था के मंत्री डॉ. एसपी सिंह तथा सदस्य डॉ. बामदेव पाण्डेय ने गुरुपूर्णिमा 2022 से गुरुपूर्णिमा 2023 के बीच किये गए जनसेवा के कार्यों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। संस्था की अनेक शाखाओं के पदाधिकारियों ने भी अपनी-अपनी शाखाओं द्वारा भविष्य में किये जाने वाले जनसेवा कार्यक्रमों की सूची प्रस्तुत की, अपने सुझाव दिए और संस्था के उद्देश्यों तथा 19 सूत्री कार्यक्रमों में गति देने का संकल्प लिया।