स्मार्ट होती काशी की सड़कें चलने लायक नहीं


(आलोक श्रीवास्तव)
वाराणसी (काशीवार्ता)।
स्मार्ट सिटी में शुमार काशी की चर्चा विश्वपटल पर हो रही है, परंतु काशी कितनी स्मार्ट हुई यह किसी से छिपा नहीं है। कागजों पर तो काशी स्मार्ट हो गई है परंतु हकीकत इससे इतर नजर आती है। स्थिति यह है कि जनपद की सड़कें चलने लायक नहीं हैं। विकास भी उन्हीं क्षेत्रो का हो रहा है जिन क्षेत्रों में पीएम मोदी व सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भ्रमण कर विकास की कथित हकीकत से रूबरू होते हैं। कागजों की बाजीगरी में महारत हासिल जनपद के प्रशासनिक व कार्यदाई संस्था के अधिकारी रोड मैप का खाका खींचकर उन्हीं योजनाओं का स्थलीय निरीक्षण कराते हैं जहां सब कुछ ठीक हो और अपनी पीठ थपथपाते हुए चैन की सांस लेते हैं।
आधे से भी कम हुआ कार्य दिसम्बर तक कैसे पूर्ण होगा: स्मार्ट सिटी योजना के आंकड़ों पर गौर करें तो शहर को स्मार्ट बनाने के लिए लगभग 9 सौ करोड़ की परियोजनाओं पर जनपद में कार्य हो रहा है। इसमें बन्द पड़ी 16 व नई परियोजनाएं को मिलाकर कुल 50 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। वहीं 113.73 करोड़ की लागत से बेनियाबाग व दशाश्वमेध में भूमिगत पार्किंग, पार्क व शॉपिंग काम्प्लेक्स का निर्माण, 85 करोड़ की लागत से पक्के महाल के छ: वार्डों का री-डेवलपमेंट का कार्य, 45.80 करोड़ की लागत से खिड़किया घाट का पुनर्विकास व नये पर्यटन के रूप में विकास कार्य, 120 करोड़ की लागत से 720 सर्विलांस कैमरे लगाने का कार्य, 26.58 करोड़ की लागत से दशाश्वमेध पर टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर व काम्प्लेक्स का निर्माण, 93 करोड़ की लागत से मैदागिन से गोदौलिया सड़क व नाली का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। जिसके पूर्ण करने का लक्ष्य दिसम्बर-2021 निर्धारित है। परंतु जिस कच्छप गति से विकास के कार्यों को अमली जामा पहनाया जा रहा है उसके स-समय पूर्ण होने की संभावना न के बराबर है। सर्विलांस कैमरे का उपयोग जनता को परेशान करने का माध्यम: स्मार्ट सिटी योजना से शहर में लगाए जा रहे शक्तिशाली कैमरों को देखकर लोगों का कहना है कि ये कैमरे अपराधियों को पकड़ने के लिए नहीं जनता को परेशान करने के लिए लगाए गए हैं। स्मार्ट सिटी योजना को बकवास बताते हुए कहा कि जनता के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है। वहीं प्रदेश सरकार के एक मंत्री केंद्र सरकार की योजनाओं को अपनी मेहनत का परिणाम बताते हुए इतराते हुए देखे जा सकते हैं, जबकि स्मार्ट सिटी योजना में उनका कोई सहयोग ही नहीं रहा।
शाही नाला की सफाई हुई नहीं, शहर स्मार्ट कैसे?
स्मार्ट सिटी योजना वेस्टेज आफ मनी है। यदि ऐसा नहीं है तो गोदौलिया पर करोड़ों की लागत से बने पार्किंग में गाड़ियां खड़ी होने के बजाए सड़कों पर क्यों दिख रही हैं ? आज तक बनारस का शाही नाला साफ नहीं हो सका, शहर की गंदगी गंगा में बह रही है। मैदागिन चौराहे पर पूर्व पीएम राजीव गांधी की प्रतिमा के ठीक नीचे शराबी और गंजेड़ी चिलम फूंकते नजर आते हैं। बनारस हवा में स्मार्ट हो रहा है या फिर कागजों पर ? स्मार्ट होने का मतलब आमजन को राहत मिले ना कि टैक्स के नाम पर उनका दोहन किया जाये।
दिसम्बर तक स्मार्ट सिटी की योजनाएं पूर्ण हो जाएंगी : शाकम्भरी नंदन
स्मार्ट सिटी का कार्य देख रहे महाप्रबंधक के पीआरओ शाकम्भरी नंदन सिंथालिया का कहना है कि बनारस में सिगरा स्थित कन्वेंशन सेंटर ‘रुद्राक्ष’ का निर्माण सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। 14.21 करोड़ रुपये की लागत से मच्छोदारी का सरकारी स्कूल अब स्मार्ट हो चुका है। मालवीय मार्केट को दिल्ली के कनाट प्लेस की तर्ज पर सजाया जा रहा है। कई फ्लाई ओवर, आरओबी और फोरलेन सड़कों का जाल बिछाया जा रहा जो स्मार्ट सिटी को और भी खूबसूरत बना रहा है। दिसंबर 2021 तक स्मार्ट सिटी की ज्यादतर योजनाएं पूरी हो जाएंगी।
गलियों की बदहाली ने बिगाड़ी काशी की सूरत
उबड़-खाबड़ रास्तों पर लोगों का राह चलना दुश्वार
वाराणसी(काशीवार्ता)
। देश के प्रधानमंत्री व बनारस के सांसद नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। काफी हद तक नागरिक सुविधाओं का विस्तार भी हुआ है। इसके साथ ही नगर की प्रमुख सड़कों को परत-दर-परत चमकाया जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ काशी की पहचान उसकी गलियों का बुरा हाल है। मेंटेनेंस के अभाव में गलियों में लगे पत्थर जगह-जगह से उखड़ गये हैं तो किसी गली में अनेक प्रकार के पाइप लाइन डालने के लिए इतनी बेदर्दी से खोदाई की गयी है कि गली का स्वरूप ही बिगड़ गया है। देवरहवा बाबा की गली बेहद खराब है। अस्सी क्षेत्र की प्राचीन गली जो असि घाट से होते हुए तुलसीघाट तक जाती है। इस गली में ही ब्रह्मलीन संत देवरहवा बाबा का आश्रम है जिसे द्वारिकाधीश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस गली में ही वीरांगना लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली है। इस गली की स्थिति बहुत दयनीय हो चली है। गली का पत्थर जगह-जगह से उखड़ गया है जिसके कारण राहगीरों का चलना दुश्वार हो गया है। लोग गिरते-पड़ते आने जाने को विवश हैं। सबसे बड़ बात यह है कि इस गली की नियमित ढंग से साफ सफाई भी नहीं होती है जिसके कारण गली में गंदगी का अम्बार लगा रहता है।
वाराणसी(काशीवार्ता)। देश के प्रधानमंत्री व बनारस के सांसद नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। काफी हद तक नागरिक सुविधाओं का विस्तार भी हुआ है। इसके साथ ही नगर की प्रमुख सड़कों को परत-दर-परत चमकाया जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ काशी की पहचान उसकी गलियों का बुरा हाल है। मेंटेनेंस के अभाव में गलियों में लगे पत्थर जगह-जगह से उखड़ गये हैं तो किसी गली में अनेक प्रकार के पाइप लाइन डालने के लिए इतनी बेदर्दी से खोदाई की गयी है कि गली का स्वरूप ही बिगड़ गया है। देवरहवा बाबा की गली बेहद खराब है। अस्सी क्षेत्र की प्राचीन गली जो असि घाट से होते हुए तुलसीघाट तक जाती है। इस गली में ही ब्रह्मलीन संत देवरहवा बाबा का आश्रम है जिसे द्वारिकाधीश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस गली में ही वीरांगना लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली है। इस गली की स्थिति बहुत दयनीय हो चली है। गली का पत्थर जगह-जगह से उखड़ गया है जिसके कारण राहगीरों का चलना दुश्वार हो गया है। लोग गिरते-पड़ते आने जाने को विवश हैं। सबसे बड़Þी बात यह है कि इस गली की नियमित ढंग से साफ सफाई भी नहीं होती है जिसके कारण गली में गंदगी का अम्बार लगा रहता है।