वाराणसी (काशीवार्ता)। बैंक आफ इंडिया की सोनारपुरा शाखा में बंधक रखी भूमि को कर्मचारियों से मिलीभगत कर 5 करोड़ रुपये में बेचने का मामला प्रकाश में अया है। हालांकि बैंक प्रबंधन अभी इसका खुलासा करने में आनाकानी का रुख अख्तियार कर रहा है। आंचलिक प्रबंधक बैंक आफ इंडिया वाराणसी के शंकर सेन ने कहा कि अभी इतनी जल्दी नहीं कहा जा सकता कि बिल्डर द्बारा बंधक जमीन मामले में घोटाला हुआ ही है। इस मामले की आंतरिक कमेटी जांच कर रही है।लखन ऊ से रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। बंधक रखी 25000वर्गफीट जमीन को ही एक बिल्डर द्बारा करीब 05करोड़ में बेचने का मामला प्रकाश में आया है जो बैंक के ही अधिकारियों की मिली भगत से हुई। इसका खुलासा तब हुआ जब बैंक के पैनल अधिवक्ता ने पूरे प्रकरण का मुआयना करने के बाद अपनी जांच रिपोर्ट बैंक को सौपी। जिसका संज्ञान लेते हुये बैंक के जनरल मैनेजर ने लखन ऊ स्तर से जांच के निर्देश दिये है।
सन-2012 में बिल्डर काा यह खेल बैंक के तत्कालीन मैनेजर क्रेडिट की मिलीभगत से शुरू हो गया था। उक्त बिल्डर ने दशाश्वमेध वार्ड स्थित मौजा शिवपुरवा में-52हजार 441वर्ग फीट जमीन खरीदी। आरोप हैकि इस प्लाट की रजिस्ट्री बिल्डर ने दो कंपनियों के नाम से 25000 -25000 वर्गफीट में करवाली। इसके बाद बैंक में 25000 वर्गफीट जमीन बंधक रखकर बैंक से करीब 05करोड़ रुपए का ऋण प्राप्त कर लियाऔर बाकी बचे 25000 वर्गफीट जमीन को बंधक रख जमीन के साथ जोड़कर प्लाटिंग कर दी और पूरी की पूरी जमीन 2018में बेच दी। आरोप तो यहां तक ह ैकि जो जमीन बंधक है,उसकी प्लाटिंग में बिल्डर ने बैंक के शाखा प्रबंधक क्रेडिट के दो पुत्रों के नाम एक एक प्लाट की रजिस्ट्री भी की। बैंक द्बारा सीसी लिमिट क्रेडिट की कई किस्त न मिलनेपर बिल्डर को नोटिस जारी किया गया और सारे दस्तावेज निकाले गये ।यह मामला तब जाकर खुला जब बैंक के पैनल अधिवक्ता द्बारा सोनारपुरा स्थितबैंक की शाखा मे बंधक रखे दस्तावेज से संबधित अपनी रिपोर्टं बैंक मे प्रेषित की।