सपा प्रत्याशी का खेल बिगाड़ सकते हैं यदुवंशी!


(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। आखिरकार मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट से सपा ने मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी को उम्मीदवार बनाकर भाजपा को कड़ी चुनौती पेश की है। यहां पर अगर यदुवंशियों ने अंसारियों का साथ दिया तो परिणाम चैंकाने वाले होंगे। क्योंकि 2017 में यदुवंशियों ने कमल खिलाकर दूसरी बार अलका राय को विधायक बनवाकर सभी को हैरान कर दिया था। यहां पर यदुवंशी आज भी दो खेमे में बंटे हैं। एक समाजवादी है तो दूसरा राजेशवादी । जिनको अभी तक एक करने में अंसारी बंधु सफलता प्राप्त नहीं कर सके हैं। वैसे भाजपा का प्रत्याशी सामने आने के बाद ही अंसारियों के सियासी भविष्य पर कुछ कहा जा सकता है।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव परिणामों को एक नजर से देखें तो भाजपा की अलका राय को एक लाख 22 हजार 156 वोट मिले थे। वहीं बसपा उम्मीदवार रहे सिबगतुल्लाह अंसारी ने कड़ी टक्कर देने के बाद 89429 वोट प्राप्त किया था। वह अलका राय से 32727 वोट से पराजित हुए थे। यहां पर 58.31 प्रतिशत पड़े थे। जातिगत आकड़ों को अगर मानें तो यादव 45 हजार, भूमिहार एक लाख 20 हजार, कुशवाहा 15 हजार, मुस्लिम 25 हजार, दलित 60 से 65 हजार, ब्राम्हण 25 हजार, राजपूत दस हजार कम, बिन्द मल्लाह 15 से 20 हजार के अलावा अन्य जातियों का वोट है। यहां पर करीब चार लाख मतदाता पंजीकृत हैं। वर्ष 2017 में भारी विरोध के बावजूद भी बसपा सिबगतुल्लाह को 89429 वोट मिले थे। मगर यदुवंशियों के कमल खिलाने के कारण अलका राय भारी वोटों के अंतर से चुनाव जीती थीं। इस बार भी यदुवंशियों की नाराजगी अंसारियों से कम नहीं हुई है। यहां पर यदुवंशियों की दो गोल अपने अपने हिसाब से अंसारियों के दिमाग का सियासी पारा रह रहकर चढ़ा दे रही है।
यदुवंशियों की सहानुभूति समाजवादी माली राजेश राय से कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। साथ ही चुनाव की रणनीति बनाने वाले अफजाल बीमार हैं और वह आराम फरमा रहे हैं। ऐसे में सपा को यहां पर भाजपा से कड़ी चुनौती मिल सकती है। सपा प्रत्याशी के आने के बाद अभी तक भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। संभावना जताई जा रही है कि अलका राय को ही पार्टी उम्मीदवार बनाकर अंसारियों को कड़ी टक्कर देना चाहती है। सियासी जानकार मानते हैं कि अब यहां के भूमिहार वोटर इन दोनों से हटकर किसी तीसरे चेहरे को ताज पहनाना चाहते हैं, जो अभी फिलहाल मुश्किल लग रहा है।
अफजाल बीमार, क्या होगा सिबगतुल्लाह अंसारी का
मुहम्मदाबाद सीट अंसारियों की परंपरागत सीट रही है। यहां से चार बार अफजाल अंसारी विधायक लगातार रहे। वह 2002 में भाजपा के कृष्णानंद राय से हारे थे। फिर कृष्णानंद राय की हत्या के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी 2005 में विधायक बनीं। लेकिन 2007 के चुनाव में वह हार गईं। 2012 का चुनाव नहीं लड़ा। 2017 में फिर विधायक बनीं। मगर 25 से 30 वोट हमेशा अंसारियों के साथ रहा है, जो उनकी जीत हार में निर्णायक भूमिका अदा करता है। बसपा सांसद अफजाल अंसारी बीमार हैं और लखनऊ में आराम फरमान रहे हैं। उनकी तबीयत में सुधार भी तेजी से हो रहा है, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें अधिक सोचने और बोलने के साथ ही चलने पर पाबंदी लगा दी है।