आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत पर शोध के लिए इंटैक देगा स्कॉलरशिप


वाराणसी (काशीवार्ता)। धार्मिक व सांस्कृतिक नगरी में वॉल पेंटिंग प्राचीन काल से ही विख्यात रही है। आधुनिकता के दौर में उपेक्षा से अधिकांश पेंटिंग लुप्त हो गई जो बची है वो भी धूमिल हो रही हैं। मंदिरों के नगर में राजा महाराजाओं ने बड़े शौक से दीवारों पर वाल पेंटिंग्स करवायी थी जो संरक्षण के अभाव में आज दम तोड़ रही हैं। इन धरोहरों को संरक्षित करने की दिशा में इंटैक ने कदम बढ़ाया और कई कार्यों को अंजाम तक पहुंचाया।
इंटैक के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित कुमार गुप्ता ने लहरतारा स्थित एक स्कूल में विभिन्न स्कूलों के प्रिंसिपल, शिक्षकों व बच्चों के साथ संवाद किया। प्राचीन धरोहरों की विरासत पर बच्चों के प्रजेंटेशन की सराहना की। ईश्वरगंगी तालाब के नजदीक स्थित ललई छठ माता/तारा माता मंदिर में अद्भुत कार्य करवाया गया है। महामाया नाम से भी ज्ञात इस मंदिर की धूमिल होती वॉल पेंटिंग्स को न केवल संरक्षित किया गया बल्कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया गया। आज यह मंदिर अपनी खास पहचान के साथ भव्य रूप लिए हुए है। इंटैक के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने ईश्वरगंगी तालाब स्थित ललई छठ माता/तारा मंदिर का अवलोकन किया और मन्दिर में किये गए कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार और लुप्त होतीं कलाकृतियों को पुन: उकेर कर दृश्यमान बनाना बहुत महत्वपूर्ण व सराहनीय कार्य है। उन्होंने इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने वाली टीम के सदस्यों की सराहना करते हुए सम्मानित किया। कहा कि भारतीय कला और सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्षित रखना व सवारना हमारा कर्तव्य है।