(अमलेश सोनकर)
चोपन(सोनभद्र)। उप्र की योगी सरकार अवैध खनन नियंत्रण के कितने भी दावे कर लें, लेकिन बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश का सीमावर्ती जिला सोनभद्र जो सोनांचल के नाम से प्रसिद्ध है, में सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिले के सोन नदी को दबंग बालू माफिया अपने स्वार्थ सिद्धी के लिए दिन-रात पोकलेन और बड़ी-बड़ी जेसीबी मशीनों से अवैध बालू खनन कर नदी का सीना छलनी किए जा रहे हैं। ये सब सोन नदी के सेंचुरी एरिया में धड़ल्ले से किया जा रहा है। वहीं ब्रह्मोरी क्षेत्र में बालू माफिया नदी के बीच क्षेत्र में घुसकर अवैध लोडिंग कर रहे हैं। बालू माफिया पूर्ण रूप से सक्रिय होकर एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर दिन-रात बेकौफ होकर बालू निकाल रहे हैं। ब्रह्मोरी में बालू निकलती है कहीं से और परमिट मिलता है कहीं का। इसी तर्ज पर सीमा से बढ़कर नदी के बीच धारा से आगे बढ़कर अवैध बालू खनन किया जा रहा है तथा अवैध बालू खनन का पूरा काम प्रशासन की नजरों के सामने हो रहा हैं, जिससे यह विदित होता हैं कि खनन विभाग, स्थानीय पुलिस प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग का बालू माफियाओं के साथ सांठ-गांठ हैं। गांव वासियों के अनुसार सीमा से बाहर जा कर अवैध बालू खनन किया जा रहा है।
समाचार पत्रों में खबर लगने पर प्रशासन अपनी नाक बचाने के लिए दिखावे के तौर पर 1-2 पोकलैन मशीन और 1-2 हाईवा, पड़कर खानापूर्ति कर देती हैं, जब विभाग द्वारा अवैध साइडों पर छापेमारी की कार्यवाही की जाती है तो विभाग के अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही अवैध बालू उत्खनन में लगी हुई बड़ी-बड़ी पोकलेन, जेसीबी मशीनें और सैकड़ों हाईवा, ट्रक, डंपर, टीपर वहां से गायब कर देते हैं, जो प्रशासन के सांठ-गांठ के बिना संभव नहीं है।
नदी की धारा प्रवाह को अवरूद्ध कर अघोरी व ब्रह्मोरी क्षेत्र के जंगलों से वन विभाग कार्यालय से मात्र तीन चार किलोमीटर की दूरी पर बालू माफिया ट्रैक्टरों के माध्यम से अवैध बोल्डर निकाल रहे हैं। भ्रष्टाचार पोषित आधिकारियों के संरक्षण में बालू माफियाओं के इस प्रकार के अवैध उत्खनन से जलीय जीव जंतुओं को भी भारी नुकसान हो रहा है और वर्तमान में सोन नदी के जलीय जीव-जंतु निरंतर दम तोड़ रहे हैं, स्थानीय लोगों के अनुसार मालिकों व कर्मचारिओं द्वारा इस समय पूरे क्षेत्र चोपन में सोन नदी की धारा- में सक्रिय होकर अवैध बालू खनन का कार्य जोर-शोरसे किया जा रहा है। जुगैल की वन पहाड़ियों से जब अवैध रूप से बोल्डर निकाल कर रास्ते का निर्माण व जल जीवों की हत्या पर कोई रोक नहीं लगाया जाता हैं। वन विभाग के कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा उठता है। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रशासन के कर्मचारी और अधिकारी इस प्रकार के बालू माफियाओं से अच्छी सांठगांठ है। खनन से सोनभद्र जिले के राजस्व विभाग को अच्छा खासा लाभ होता है लेकिन इस प्रकार के बालू माफिया और प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से राज्य सरकार को राजस्व को भारी क्षती हो रही है। इस खबर के प्रकाशन के बाद देखने वाली बात यह होगी कि क्या बुलडोजर बाबा का बुलडोजर इन बालू माफियाओं के भ्रष्ट रवैया पर चलेगा या फिर बालू माफियाओं का बुल्डोजर सोन नदी के सीने को छलनी करता रहेगा। जिला प्रशासन अपना अपना नाक बचाने के लिए कभी कभार खनन माफिया पर छोटा मोटा जुमार्ना लगा कर खाना पूर्ति कर देती है इन्हे उत्तर प्रदेश के मुखिया बोल्डोजर वाले बाबा का तनिक भी भय नहीं है।