वाराणसी(काशीवार्ता)। नगर के नियोजित विकास की जिम्मेदारी वाराणसी विकास प्राधिकरण की होती है। यह माना जाता है कि विकास प्राधिकरण के इंजीनियर इस कार्य में दक्ष हैं लेकिन गंगा में आई बाढ़ ने उनकी दक्षता की कलई खोलकर रख दी है। विकास प्राधिकरण की जिम्मेदारी है कि गंगा किनारे बाढ़ क्षेत्र में कोई निर्माण न हो, इसके बाद भी विकास प्राधिकरण की ओर से ही बाढ़ क्षेत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन का निर्माण किया गया। इस कार्य में करीब 39.74 करोड़ रुपये खर्च हुए। पंडित दीनदयाल की आदमकद प्रतिमा स्थापित हुई। चारों तरफ बागवानी लगाई गई। पंडित दीनदयाल की स्मृति में शिलापट्ट लगाए गए जिस पर उनका जीवन वृत्त अंकित की गईं। वर्तमान में हालात यह है कि स्मृति उपवन में गंगा का पानी भर गया है। पूरी बागवानी लबालब हो गई है। पंडित दीनदयाल की आदमकद प्रतिमा का
पांव गंगा पखार रही हैं। वर्तमान हालात वीडीए इंजीनियरों की दक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।
जब हो रहा था निर्माण तब उठे थे सवाल: पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन का जब निर्माण हो रहा था तब सवाल उठे थे। एकात्मवाद के प्रेरणास्रोत महापुरुष की स्मृतियां मुगलसराय जो वर्तमान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर से जानी जाती है, में बनवाने की मांग हुई थी। जनता की आवाज अनसुनी कर पड़ाव में निर्माण किया गया जिसका दुष्परिणाम सभी के सामने है।
…तो टूटेंगे मकान
बाढ़ क्षेत्र में लोगों के मकान कैसे और कितने बने हैं, इसका सर्वे होगा। नगर निगम को जिम्मेदारी दी गई है। रिपोर्ट के आधार पर ऐसे मकानों को तोड़ा जाएगा लेकिन सवाल यह है कि नगर के नियोजित विकास की जिम्मेदारी वीडीए की है। वार्डवार अफसर व कर्मी तैनात हैं। हर निर्माण उनकी नजर में होता है। ऐसे में कैसे बाढ़ क्षेत्र में मकानों का निर्माण हुआ, वीडीए के जिम्मेदारों की जांच भी होनी चाहिए। यदि किसी उच्च स्तरीय कमेटी से जांच कराई जाए तो बड़ा भ्रष्टाचार उजागर होगा।