सुखासन व वज्रासन से दिया कोरोना को मात


वाराणसी (काशीवार्ता)। वरिष्ठ एवं जाने-माने होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. पी.के. मुखर्जी मरीजों का इलाज करते हुए 4 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हो गये, परन्तु कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने के कारण उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं हुई। साथ ही उन्होंने नियमित योग भी किया। इस दौरान डॉ. मुखर्जी को बुखार 102 डिग्री व आक्सीजन लेवल 90 तक पहुंच गया पर उन्होंने इस पर नियंत्रण पा लिया।
69वर्षीय डॉ. मुखर्जी ने काशीवार्ता से कोरोनाकाल के अपने अनुभवों को साझा करते हुए उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि विगत 62 वर्षों से प्रतिदिन सुखासन, बज्रासन व सूर्य नमस्कार करते आ रहे हैं, इसके कारण ही उन्होंने कोरोना पर जल्द विजय हासिल कर ली।कोरोना पॉजिटिव होने के बाद डॉ.मुखर्जी की पत्नी ने कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए उनका पूरा ध्यान रखा। डॉ.मुखर्जी ने कहा कि चिकित्सकों की सलाह पर मैने एलोपैथ व होम्योपैथ की दवाओं का सेवन किया। इस दौरान मरीजों का फोन पर पूर्ण सहयोग करते हुए उनकी मदद की।
उन्होंने कहा कि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए सभी पैथी के चिकित्सकों को अपना बचाव करते हुए मरीजों का इलाज करना चाहिए। तभी हम स्वस्थ भारत का सपना साकार कर सकते हैं। शेष पेज 7 पर…
किसी भी मरीज को उसकी बीमारी बता कर उसके उसका इलाज नहीं करना चाहिए, इससे उसके अंदर निगेटिव सोच आ जाती है।हमें मरीजो का उत्साहवर्धन करते हुए उनका इलाज करना है।तीसरी लहर की सम्भावना को देखते हुए कहा कि यदि ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सिनेशन हो जाएगा तो तीसरी लहर का विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। वैक्सिनेशन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। लोगों के मन से इसके प्रति भ्रम को निकालना होगा। डॉ.मुखर्जी ने कहा कि वैक्सिनेशन के साथ ही जिन लोगों को कोई पुरानी बीमारी है, उस बीमारी की दवाओं को लेते रहना चाहिए, क्योंकि कोरोनाकाल मे जिन लोगों की मृत्यु हुई, उनमें ज्यादातर लोगों को कोई न कोई बड़ी बीमारी रही।