नई दिल्ली, । रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनी और नोएडा प्राधिकरण की मिलीभगत से नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए दो 40-मंजिल टावरों को ध्वस्त करने का आदेश जारी कर दिया है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को आदेश दिया है कि उसे ट्विन टावरों के फ्लैट मालिकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ उनकी रकम को वापस लौटाना होगा। वहीं, टावरों को गिराए जाने का खर्च भी सुपरटेक को ही उठाना पड़ेगा।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दो 40-मंजिला टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था। नोएडा सेक्टर-93 में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया गया था और सुपरटेक द्वारा अपनी लागत पर दो महीने की अवधि के भीतर तोड़ा जाना चाहिए। इसके अलावा नोएडा में ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12% ब्याज के साथ उनकी रकम लौटाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सुपरटेक को बड़ा घाटा लगने वाला है।
Supreme Court orders demolition of two 40-floor towers built by real estate company Supertech in one of its housing projects in Noida; says construction was a result of the collusion between the officials of the Noida authority and Supertech pic.twitter.com/5Vx3rSmHCd
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बता दें कि मामला एमराल्ड कोर्ट परियोजना में इमारत के मानदंडों के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है। इस मामले में 11 अप्रैल, 2014 को इलाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश दिया था जिसके खिलाफ रियल्टी प्रमुख सुपरटेक लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि सुपरटेक को सर्वोच्च न्यायायल से भी झटका लगा है और टावरों को गिराने का आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण, योजनाकारों और बिल्डर सुपरटेक के बीच मिलीभगत को गंभीरता से लिया। बता दें कि हर एक टावर में 1 हजार फ्लैट्स हैं, जिन्हें नियमों की अनदेखी कर बनाया गया। कहा गया है कि टावर्स को तोड़ते वक्त अन्य बिल्डिंग्स को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।