नई दिल्ली। राजस्थान में सियासी रार के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट विधानसभा अध्यक्ष द्वारा जारी बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के नोटिस के खिलाफ कांग्रेस याचिका पर आदेश पारित कर सकता है। कोर्ट ने मामले में स्पीकर की तरफ से पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकिल कपिल सब्बिल से कहा कि मामले की लंबी सुनवाई होने दीजिए। सिब्बल ने कोर्ट से हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने सचिन पायलट और 18 विधायकों की ओर से हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी से जवाब मांगा है। इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार जस्टिस अरुण मिश्रा ने यह बात कही। मामले में स्पीकर की तरफ से पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकिल कपिल सब्बिल से कोर्ट ने पूछा कि विधायकों को किस आधार पर अयोग्यता नोटिस जारी की गई ? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विधायक पार्टी बैठक में शामिल नहीं हुए, वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। वे एक हरियाणा के होटल में हैं। उनसे संपर्क नहीं हो रहा है और वे अपनी पार्टी के खिलाफ फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं। इसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने सिब्बल से पूछा, ‘क्या लोगों द्वारा चुने गए व्यक्ति अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते?’ असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। लोकतंत्र में क्या किसी को इस तरह से रोका जा सकता है?’ इससे पहले सब्बिल ने कहा कि कोर्ट निर्णय का समय बढ़ाने के लिए स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता। यह न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उन्होंने कहा कि फैसले से पहले अदालत द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, जब तक कि कोई निलंबित या अयोग्य घोषित न हो। इस स्तर पर सुरक्षात्मक आदेश जारी नहीं हो सकता। जब राजस्थान उच्च न्यायालय ने नोटिस पर जवाब देने के लिए समय बढ़ाया और कहा कि कोई निर्देश पारित नहीं किया जाएगा, तो यह एक सुरक्षात्मक आदेश था। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट समते 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर रोक लगाने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है, ताकि बगैर उनका पक्ष सुने कोर्ट मामले में कोई आदेश न जारी कर दे। मामले में आज तीन जज की पीठ सुनवाई कर रही है।