शिक्षक भर्ती घोटाले की त्रिस्तरीय कमेटी करेगी जांच


गाजीपुर (काशीवार्ता)। जमानियां विधानसभा क्षेत्र में स्थित दाउदपुर इंटर कालेज में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच अब प्रधानाचार्य एवं प्रबंध संचालक की जगह लेखाधिकारी दीपक सिंह के नेतृत्व में गठित त्रिस्तरीय कमेटी करेगी। डीआईओएस ने इस कमेटी से 15 दिन के भीतर जांच करके रिपोर्ट मांगी है। जब 10 दिन बाद भी प्रधानाचार्य ने शिक्षकों से भर्ती से जुड़े अभिलेख नहीं उपलब्ध करा पाए तो डीआईओएस डा. ओपी राय को मजबूरन त्रिस्तरीय कमेटी बनानी पड़ी। अब इनकी बर्खास्तगी जल्द होगी। इसको लेकर पूरे विद्यालय में खलबली मची हुई है।
वर्ष 2014 में सपा शासनकाल में बिना जेडी की अनुमति के तत्कालीन डीआईओएस हृदयराम आजाद ने सात शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति लाखों रुपए रिश्वत लेकर कर दिया था। साथ ही उन्होंने आरक्षण का भी ख्याल नहीं रखा। सभी मजे से वेतन भी पा रहे थे। जब योगी 2 आई तो एक व्यक्ति की शिकायत पर डीएम एमपी सिंह ने जांच के आदेश दिए। डीआईओएस ने दाउदपुर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य एवं प्रबंध संचालक से अभिलेख मांगे। मगर 15 दिनों बाद जब अभिलेख नहीं मिले तो डीआईओएस ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बना दी। इस कमेटी में दीपक सिंह लेखाधिकारी डीआईओएस कार्यालय, जीजीआईसी की प्रधानाचार्य शालिनी श्रीवास्तव, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हाईस्कूल बिरनो के प्रधानाचार्य जयप्रकाश गुप्ता को शामिल किया गया। डीआईओएस ने अपने लेखाधिकारी दीपक सिंह को निर्देशित किया कि 15 दिनों के भीतर इसकी संपूर्ण जांच करके रिपोर्ट दी जाए। ऐसी सूचना मिल रही है कि विद्यालय से अधिकांश अभिलेख ही गायब हैं। जब वहां के प्रधानाचार्य ओमनरायण राय ने अभिलेख मांगे तो आधे अधूरे अभिलेख ही प्रस्तुत किए गए। इस मामले अधिकांश शिक्षक के अभिलेख में बड़ा झोल है। सब गड़बड़झाला है।अभिलेखों में कूटरचना की गई। उसके बदले मोटी रकम भी ली गई। अब सभी दागी शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिए एक दूसरे के माध्यम से फोन कराकर जांच को हर हाल में रूकवाना चाहते हैं। वह सफेदपोश परेशान है। जिसकी पैरवी पर इतना बड़ा शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ। यही नहीं इस सफेदपोश का एक और कारनामा सामने आया है। जिसमें जमानियां विधानसभा के धुस्का एडेड प्राइमरी स्कूल, गोहदा और दिलदारनगर में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति कराई गई। अब इनकी भी जांच के लिए जल्द डीएम के यहां शिकायती पत्र पहुंचने वाला है। इसको लेकर यहां के भी शिक्षक अब बीमारी हालत में पहुंचने वाले हैं। एक एक शिक्षकों की नियुक्ति के नाम पर तीस तीस लाख वसूले गए हैं। इसमें बेसिक शिक्षा विभाग के एक सीनियर लिपिक का नाम सामने आ रहा है।