देश में कोरोना वायरस का संकट अभी टला नहीं है. तीसरी लहर की आशंका के बीच जो इनपुट्स आए हैं, उनसे लगता है कि देश कोरोना वायरस की तीसरी लहर के मुहाने पर खड़ा है. आर-वैल्यू, कोरोना वायरस का रिप्रोडक्शन रेट 0.96 प्रतिशत से बढ़कर जुलाई के बीते कुछ दिनों में 1 पर पहुंच गया है. एम्स ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की है.
आर-वैल्यू के जरिए यह पता लगाया जाता है कि औसत तौर पर एक कोरोना संक्रमित शख्स द्वारा कितने लोग संक्रमित हुए हैं. अगर आर-वैल्यू 1 से ज्यादा होती है तो कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते हैं. अगर यह वैल्यू कम होती है तो संक्रमण धीरे-धीरे रुक जाता है क्योंकि नए संक्रमित की संख्या कम हो जाती है जिससे की संक्रमण का प्रसार कम हो जाता है. केरल में मौजूदा समय में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले रोजाना देखे जा रहे हैं. यहां रोज के 20 हजार से ज्यादा मामला दर्ज किए जा रहे हैं. केरल में आर-वैल्यू 1.11 है. इससे यह पता चलता है कि हम तीसरी लहर के मुहाने पर खड़े हैं और इन संकेतों को इग्नोर नहीं किया जा सकता.
वैक्सीनेशन से मिलेगी राहत!
तीसरी लहर को वैक्सीनेशन के विस्तार से काफी हद तक रोका जा सकता है लेकिन अभी तक 7.6 प्रतिशत (10.4 करोड़) लोगों को ही कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के 2 अगस्त के कोविड वैक्सीनेशन डैशबोर्ड के मुताबिक 47,85,44, 144 ( 47 करोड़ से ज्यादा) लोगों को अबतक कम से कम एक डोज दी गई है. पंडित दीनदयाल एनर्जी यूनिवर्सिटी और निरमा यूनिवर्सिटी की एक संयुक्त स्टडी के मुताबिक भारत में वैक्सीनेशन रेट 3.2 प्रतिशत है अगर वैक्सीनेशन में तेजी नहीं आई तो तीसरी लहर में एक दिन में 6 लाख केस प्रतिदिन रिपोर्ट किए जा सकते हैं. अगर सरकार रोजाना वैक्सीनेशन एक करोड़ तक बढ़ा देती है तो फिर तीसरी लहर में रोजाना दूसरी लहर के मामलों के 25 प्रतिशत के बराबर ही मामले सामने आएंगे.
केवल वैक्सीनेशन ही एकमात्र रास्ता
‘पैटर्न रिकॉग्निशन: प्रेडिक्शन ऑफ कोविड थर्ड वेव इन इंडिया यूजिंग टाइम सीरीज़ फोरकास्टिंग विद डीप लर्निंग मॉडल्स’ शीर्षक वाले एक अध्ययन में यह भविष्यवाणी की गई है कि तेजी से टीकाकरण रणनीति भी कोरोना की तीसरी लहर के दौरान संक्रमण 85% तक रोक सकता है. इसलिए, टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण है और इस महामारी से निकलने का एकमात्र रास्ता है.