शौचालय निर्माण में करोड़ों का घपला


गाजीपुर (काशीवार्ता)। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में बनाए जा रहे सामुदायिक शौचालयों में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। ग्राम प्रधानों, सचिवों एवं आरईएस के ब्लाक स्तरीय जेई की जुगलबंदी ने सामुदायिक शौचालयों को प्रयोग के काबिल भी नहीं छोड़ा है। कहीं तो हालात ऐसे हैं कि वहां पर खिड़की वाले दरवाजे लगाए गए हैं। इसको लेकर अब डीपीआरओ कार्यालय पर भी अंगुली उठनी शुरू हो गई है। मामले की जानकारी होने पर डीएम ने जांच कराने की बात कही है। चेताया है कि अगर घटिया सामुदायिक शौचालय बने तो सीधे जेल भेजा जाएगा। इसको लेकर ग्राम प्रधानों में खलबली मची हुई है। जिले की 1238 ग्राम पंचायतों में पिछले वर्ष अक्तूबर में सामुदायिक शौचालय बनाने के आदेश शासन से दिए गए थे। शासन के निर्देश पर अपर प्रमुख सचिव पंचायती राज ने कहा था कि तीन हजार से अधिक आबादी वाली ग्राम पंचायतों में छह सीटर वाले सामुदायिक शौचालय बनेंगे। इस पर सात लाख 51 हजार की धनराशि खर्च होगी। जबकि तीन हजार से कम जनसंख्या वाले गांवों में चार सीटर सामुदायिक शौचालय बनाए जाएंगे। इस पर पांच लाख 61 हजार की रकम खर्च होगी।
इस तरह से कुल 61 करोड़ 90 लाख से अधिक धनराशि शौचालयों के निर्माण पर खर्च हो रही है। यह सभी सामुदायिक शौचालय गांव के बीच में बनेंगे। ताकि सभी गांव के लोग इसका प्रयोग कर सकें।
इसके निर्माण की देखरेख ब्लाकों पर तैनात आरईएस के जेई करेंगे। पूरे जिले की 1238 ग्राम पंचायतों में 798 सामुदायिक शौचालय बनकर तैयार हो गए हैं। जब इसके निर्माण की गुणवत्ता देखी गई तो चौंकाने वाले मामले सामने आए। करंडा ब्लाक के परेठ ग्राम पंचायत में बना सामुदायिक शौचालय में कूड़ा भरा हुआ है। दरवाजा खिड़की वाला बनाया गया है। लेकिन उसमें पल्ला नहीं लगा है। न टंकी लगी है और न ही टाइल्स लगा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से खेल किया जा रहा है। गांव के शिकायतकर्ता सर्वेश कुमार दूबे ने डीएम को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने बताया कि पूर्व ग्राम प्रधान प्रतिनिधि जो सफाईकर्मी भी है चाभी अपने पास लेकर रखे है। इसकी जांच होने पर कई राज खुल जाएंगे। इसके साथ ही कासिमाबाद, सादात, मनिहारी, मरदह, जमानियां, भदौरा, मुहम्मदाबाद, सदर और करंडा यह कुछ ऐसे ब्लाक हैं जहां पर सामुदायिक शौचालयों के निर्माण में खेल पर खेल हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव सिंह ने जांच की मांग की है।
शौचालयों की होगी जांच:डीपीआरओ
सामुदायिक शौचालयों के निर्माण में ग्राम प्रधान, सचिव एवं आरईएस के जेई की जिम्मेदारी तय की गई है। अभी तक 1238 में 798 सामुदायिक शौचालय बन चुका है। 30 सितंबर तक शेष शौचालयों को पूरा करने को कहा गया है। सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के बाद इसकी गुणवत्ता की विस्तृत जांच कराई जाएगी। सरकारी धन में गबन करने वाले दोषी को जेल के सलाखों में डाला जाएगा।
रमेश चंद उपाध्याय, डीपीआरओ
अच्छा काम कराएं प्रधान:जिलाध्यक्ष
ग्राम प्रधान संगठन के जिलाध्यक्ष मदन सिंह यादव ने कहा कि सभी ग्राम प्रधान एवं सचिव घटिया शौचालय नहीं बनवाए हैं। उसमें अच्छा भी काम हुआ है। जिन्होंने गलती की उसे सुधार लिया जाए। ग्राम प्रधान चाहता है कि जहां भी सामुदायिक शौचालय बने उसकी गुणवत्ता बरकरार रहे।