वाराणसी(काशीवार्ता)। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक संभ्रांत परिवार में जन्में डा. एमपी सिंह ने बड़ा सपना देखा था। वे युवाओं के लिए एक ऐसा शैक्षणिक संस्थान स्थापित करना चाहते थे, जो दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे महानगरीय सुविधाओं से लैस हो। जिससे पूर्वांचल सहित समूचे उत्तर भारत के विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए भटकना ना पड़े।सपना था शिक्षा के साथ रोजगार देने का। छात्र-छात्राएं जब पढ़कर निकलें तो जॉब मार्केट के अनुरूप तैयार हों। सपना साकार हुआ स्कूल आफ मैनेजमेंट साइंसेज के रूप में। जो आज पूर्वांचल ही नहीं बल्कि बिहार से लगायत समस्त उत्तर भारत का अग्रणी प्रबंधन संस्थान बन चुका है।
प्रश्न: एसएमएस को शुरू करने का विचार कैसे आया? किस सन् में इसकी शुरूआत हुई?
जवाब: एसएमएस के अधिशासी सचिव डॉ. एम.पी.सिंह ने बताया कि 1991 में आर्थिक उदारीकरण का दौर आने के बाद यह महसूस किया कि उत्तर प्रदेश में, विशेषकर पूर्वाचल में इस उदारीकरण का यहां के नागरिकों, नौजवानों को कोई खास लाभ नहीं मिल रहा।90 के दशक में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा और प्रोफेशनल स्टडीज के लिए मुंबई, पुणे, दिल्ली व बैंगलोर जैसे जगहों पर जाना पड़ता था। तब मैंने सर्वविद्या की राजधानी वाराणसी में रोजगारपरक प्रबंध शिक्षा देने वाली संस्था की स्थापना वर्ष 1995 में लहुराबीर स्थित हथुआ मार्केट में मात्र 36 विद्यार्थियों के साथ पीजीडीबीएम के पहले बैच के साथ स्कूल आॅफ मैनेजमेंट साइंसेज के रूप में की।
प्रश्न: हथुआ मार्केट में छोटे से परिसर से आज इतना बड़ा स्वरूप होने का श्रेय किसे देंगे?
जवाब: दरअसल, कोई भी बड़ा सपना तभी साकार होता है जब लोगों का साथ और विश्वास आपके साथ हो। इसमें एक या दो व्यक्ति का नहीं, बल्कि कई महानुभावों की बौद्धिकता, अनुभव और कार्य दक्षता का योगदान है। मेरे पिता स्वर्गीय नागेश्वर सिंह ने हमेशा मुझे प्रेरित किया और संस्थान की शिक्षा दीक्षा के प्रसार में उनके उत्साह ने मेरे आत्मबल में सदैव वृद्धि की।
मैं संस्थान के संस्थापक निदेशक स्वर्गीय प्रो. मुकुंद लाल की प्रशासनिक और शैक्षणिक दक्षता को भी इसका श्रेय देता हूं। वर्तमान निदेशक प्रो. पी. एन. झा व कुलसचिव संजय गुप्ता की दक्षता का एस.एम.एस. की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अलावा एसएमएस के सभी अध्यापकों, कर्मचारियों और साझेदारों की कर्मठता और कार्यकुशलता का ही परिणाम है कि संस्थान को साल 2017 में नैक से अ ग्रेड मिल चुका है, इसी के साथ ही संस्थान को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने वर्ष 2021 में स्वायत्तशासी कॉलेज का भी दर्जा प्रदान कर दिया है। एसएमएस आज भारत के टॉप 50 बिजनेस स्कूलों में शुमार है।
प्रश्न: आपके यहां ऐसा क्या है, कि छात्रो को लखनऊ, दिल्ली आदि जगहों पर अब नहीं जाना पड़ता ?
जवाब: हमारी पहचान प्रोफेशनल कोर्सेज के अग्रणी संस्थान के रूप में हो चुकी है। संस्थान में एमबीएएमसीए और एम कॉम जैसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चल रहे हैं, जो जॉब ओरिएंटेड प्रोफेशनल कोर्सेज के साथ ही आज के समयानुरूप काफी डिमांड में हैं। एमबीए और एमसीए कोर्सेज को प्रतिष्ठित डॉ० एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय, लखनऊ से मान्यता प्राप्त है, तो वहीं एमकॉम कोर्स को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से मान्यता प्राप्त है। संस्थान में विद्यार्थियों के समग्र व्यक्तित्व विकास के लिए ट्रेनिंग व प्लेसमेंट सेल भी है, जो समय-समय पर वर्कशॉप आयोजित कर विद्यार्थियों को मार्केट के डिमांड के अनुरूप तैयार करता है। स्नातक कोर्सेज में यहां पर बीबीए, बीसीए, बीकॉम, बीकॉम (आनर्स), बीए(आनर्स) मास कम्युनिकेशन जैसे प्रबंधन व प्रोफशनल कोर्सेज चलाए जा रहे हैं। केलॉग्स, बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, डिकैथलॉन, आईसीआईसीआई बैंक, पेप्सिको, बन्धन बैंक, कोटक महिंद्रा, हिंदुस्तान मीडिया वेंचर, टीसीआई लिमिटेड, केंट आरओ, बर्जर पेंट, टाटा कैपिटल फाइनेंस लिमिटेड सहित बहुत सी प्रतिष्ठित कंपनी कैंपस प्लेसमेंट के लिए आती हैं
प्रश्न: आज के समय में जब बेरोजगारी चरम पर है, ऐसे में आप युवाओं को क्या मैसेज देना चाहेंगे ?
जवाब: रोजगार संबंधित चुनौतियां हर काल में रहीं हैं। ऐसा कतई नहीं कि बेरोजगारी आज ज्यादा है, कल नहीं थी। हां! ये अवश्य है कि बढ़ती जनसंख्या के साथ रिसोर्सेज कम जरूर होते गए।आज का युवा स्वावलंबी है, तकनीकी में दक्ष है, क्विक लर्नर है और सबसे महत्वपूर्ण बात चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है। रही बात वर्तमान रोजगार संबंधी चुनौतियों से निपटने की, तो कुशल और सही मार्गदर्शन से स्थितियां परिवर्तित होने में देर नहीं लगेगी। इन्हीं सब स्थितियों को ध्यान में रखते हुए हम इस संस्थान में विद्यार्थियों के ओवर आल पर्सनेलिटी डेवलपमेंट के लिए वर्कशॉप और काउंसलिंग सेशन भी आयोजित करते हैं।
प्रश्न: आपके यहां ला की पढ़ाई भी होती है, आप युवाओ को संविधान की रक्षा के लिए कैसी शिक्षा देते हैं ?
जवाब: एसएमएस लॉ कॉलेज की स्थापना वर्ष 2022 में हुई। हम लॉ के पाठ्यक्रम में नैतिक मूल्यों के महत्व पर जोर देते हैं, क्योंकि यह न्यायपालिका और कानूनी व्यवस्था की अखंडता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। संविधान की रक्षा के लिए युवा विद्यार्थियों को कानूनी अनुसंधान, दस्तावेजों का मसौदा तैयार करने और वकालत में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने पर जोर देते हैं। हम यहां मूट कोर्ट का भी आयोजन करते हैं, जहाँ छात्र कानूनी दलीलें पेश करने और अपने पदों का बचाव करने का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करते हैं।