वाराणसी (काशीवार्ता)। परिवार से उपेक्षित ट्रांसजेंडर को बेटी मान शहर के एक हिंदू परिवार ने जहां गंगा जमुनी तहजीब की एक मिसाल पेश की वहीं उसे ठुकराने वाले उसके परिवार को करारा जवाब भी दिया है। सिगरा क्षेत्र के इस प्रतिष्ठित हिंदू परिवार ने उसे अपनाया ही नहीं बल्कि अपने पारिवार के सदस्य के रूप में उसके साथ रहते हैं। हम बात कर रहे हैं मुस्लिम परिवार में जन्मी ट्रांसजेंडर सलमान उर्फ सलमा की। दरअसल, सलमा की मुलाकात इस परिवार से लगभग 4 वर्ष पूर्व सिगरा क्षेत्र में आते-जाते हुई। उसकी तकलीफ सुनने के बाद पिता सुनील यादव, मां रीना देवी, भाई सागर एवं संगम ने उसे अपने परिवार का सदस्य मान लिया। सलमा का कहना है कि मैं कभी देर से आती हूँ तो ये सभी चिंतित हो जाते हैं। मेरे इंतजार में भोजन तक नहीं करते। मुझे कभी देर शाम काम से निकलना होता है तो भाई सागर या संगम मुझे स्टेशन तक छोड़ने जाते हैं। यही नहीं, वापसी में देर होने पर वे मुझे लेने स्टेशन आते हैं। बड़ी बात है कि एक ट्रांसजेंडर को घर में रखने पर समाज क्या कहेगा, इस बात की चिंता इन लोगों ने कभी नहीं की। इनकी वजह से मुझे अब आसपास के लोग भी बेटी/बहन/दोस्त के रूप में मानने लगे हैं। सुनील यादव ने बातचीत में कहा, सलमा हमारी बेटी है, उसका व्यवहार, परिवार में बच्चों की तरह रहना, जिद करना, भाइयों से लड़ना, शादीशुदा बहन के साथ एवं रिश्तेदारों में वह खुशदिल इंसान के रूप में जानी जाती है। हम सब उसे बहुत प्यार देते हैं। वहीं मां रीना देवी कहती हैं कि सलमा हमारा मान सम्मान और स्वाभिमान है। वह हमारी बेटी है, उसने समाज में बड़ी दुश्वारियां झेली हैं। मुझे आज तक यह बात समझ नहीं आयी कि कोई अपने जिगर के टुकड़े को कैसे परिवार से अलग कर सकता है। हमारा परिवार खुशनसीब है जो सलमा उसे मिली। वे आज न सिर्फ अपने समुदाय के लिए बल्कि समाज के दूसरे लोगों के अधिकारों के लिए भी लड़ रही है। वह अपने भाइयों को गलत काम करने पर डांटती भी है। साथ ही पढ़ने और अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित भी करती रहती है। वे सागर व संगम को राखी भी बांधती है।