बाबा दरबार में शिवभक्तों की अटूट कतार


हर-हर महादेव के नारे से गूंज उठी शकर की नगरी, रेड कार्पेट पर चलकर श्रद्धालु पहुंचे विश्वनाथ दरबार
वाराणसी। महाशिवरात्रि पर्व पर शुक्रवार को द्वादश ज्योर्तिलिंग श्री काशी विश्वनाथ के दहलीज पर शिवभक्तों के साथ सन्तों-सन्यासियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। काशीपुराधिपति और आदि शक्ति के मिलन के महापर्व का साक्षी बनने के लिए दरबार में मंगला आरती से लेकर दिन चढ़ने तक ज्योर्तिलिंग पर जलाभिषेक के लिए शिवभक्तों की अटूट कतार बनी रही। सुरक्षा के अभेद्य किलेबन्दी के बीच मंदिर के गर्भगृह में बाबा के प्रति श्रद्धा अनुराग की अखंड जलधार बेलपत्र, मदार, धतूरा और दुग्ध जल ज्योर्तिलिंग पर गिरती रही। यह सिलसिला अनवरत देर रात शयन आरती तक बना रहेगा।


आज भव्य श्रृंगार के बाद रात में सवा दो बजे बाबा की भव्य मंगला आरती शुरू हुई। भोर में साढ़े तीन बजे मंदिर का पट आम भक्तों के लिए खोला गया। बाबा की झलक पाने को अर्धरात्रि के बाद से ही भक्तों की कतार लगी रही। जैसे ही मंदिर के कपाट खुले पूरा मंदिर परिसर हर-हर महादेव, जय जय शिवशंकर के नारों से गुंजायमान हो उठा। बाबा दरबार में इस बार झांकी दर्शन के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे।

मंदिर के चारों द्वार पर ऐसे पात्र लगाए गए थे जिनमें गंगाजल, दूध, बेलपत्र आदि डालते ही वे सीधे बाबा को अर्पित हो रहे थे। इस व्यवस्था से जहां भारी सहूलियत हुई वहीं बाबा के भक्त निहाल भी नजर आए। गर्भ गृह के बाहर से ही लाखों भक्त बाबा को शीश नवा कर झांकी दर्शन का लाभ ले रहे थे। मंदिर के गर्भ गृह में मौजूद पुजारी व सहायक कुछ मिनटों के अंतराल पर चढ़ने वाले माला, फूल, बेल पत्र आदि को हटाते रहे ताकि भक्त आसानी से सीधे बाबा का दर्शन कर पुण्य लेते रहें। दर्शनार्थियों को ढुंढिराज गणेश व छत्ता द्वार की ओर से प्रवेश दिया जा रहा था। सुबह 8 बजे तक 75 हजार लोगों ने दर्शन किया तो 9 बजे तक यह संख्या एक लाख के पार चली गई। इस बार महाशिवरात्रि पर 45 घण्टे तक मंदिर का कपाट भक्तों के लिए खुला रहेगा।

अब 22 की रात शयन आरती के बाद ही पट बन्द होगा। शिवरात्रि पर आज पूरे दिन शहर में सभी मार्गों पर कंकर कंकर शंकर का नजारा दिखा। पर्व पर घरों और मंदिरों में लोगों ने रूद्राभिषेक करा कर बाबा विश्वनाथ का पूजन अर्चन किया। इसके पूर्व बाबा दरबार में हाजिरी लगा पुण्य बटोरने के लिए गुरूवार की शाम से ही हजारों शिवभक्त बैरिकेडिंग में कतार बद्ध होते चले गए। जैसे-जैसे रात चढ़ती गयी कतार का दायरा भी बढ़ता गया।

सर्द हवाओं के साथ ठंड भी हर-हर महादेव, काशी विश्वनाथ गंगे के उद्घोष से पनाह मांगती नजर आईं। मंगला आरती के बाद अल सुबह तक रेड कारपेट पर चलकर बाबा दरबार में जाने के लिए डेढ़ से दो किमी लम्बी लाइन लग गई। एक कतार गंगा तट से तो दूसरी बुलानाला और तीसरी लक्सा तक पहुंच गई। तीन-चार घंटे से अधिक समय तक लाइन में खड़े होने के बावजूद शिवभक्तों के चेहरे पर थकान नहीं दिखी। थकान मिटाने में हर-हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष रामबाण साबित हो रहा था। बाबा दरबार में पहुंचने के बाद तो भक्तों का उत्साह देखते बन रहा था। इस दौरान किसी ने दूध से तो किसी ने गंगा जल तो किसी ने इत्र और भस्म से बाबा को नहलाया। हजारों शिवभक्तों ने बाबा का दर्शन करने से पूर्व मां गंगा के पवित्र जल में डुबकी भी लगाई।