(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। वाराणसी का डॉ संपूणार्नंद स्पोर्ट्स स्टेडियम इन दिनों चर्चा में है। स्मार्ट सिटी ने 400 करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम को विश्वस्तरीय बनाने की योजना तैयार की है। इसके तहत आधुनिक दर्शक दीर्घा,नया स्विमिंग पूल,कैफेटेरिया, खेल छात्रवास मल्टीपर्पज इंडोर हाल तो बनेगा ही, साथ ही बड़े टूर्नामेंट आयोजित होने पर हजारों दर्शकों के एक साथ बाहर निकलने के लिये कई प्रवेश द्वार भी बनेंगे। योजना पर काम भी शुरू हो गया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी ने यूपी का बजट पेश करते हुए बनारस में खेलों के विकास के लिये लंबी चौड़ी योजनाओं की घोषणा की थी। यह सब तो ठीक है, लेकिन स्टेडियम में एक जटिल समस्या की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। वह है बन्दरों की समस्या। पिछले कुछ सालों से शहर के उत्पाती बंदरों ने स्टेडियम में अपना स्थायी डेरा बना रखा है। इन्हें दर्शक दीर्घा,मोर्निंग वॉकर ट्रैक सहित पूरे स्टेडियम में उछलकूद करते देखा जा सकता है। अक्सर ये खिलाड़ियों पर हमला बोल देते हैं। खेल छात्रवास में घुस कर खिलाड़ियों का खाना, कपड़े लेकर भाग जाना अब आम बात हो गयी है। इस समस्या से निजात पाने के लिये कुछ महीने पहले स्टेडियम प्रशासन ने लाखों रुपये खर्च कर बाउंड्री वाल पर लोहे का कटीला तार लगवाया। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। बंदरों ने बड़ी चतुराई से इसमें से निकलने का रास्ता भी खोज लिया। अब हालात यह है कि खिलाड़ियों ने बंदरों के आगे हथियार डाल दिया है। बंदर उछलकूद मचाते रहते हैं और खिलाड़ी और मोर्निंग वॉकर अपना अभ्यास करते रहते हैं। हालाँकि इन बंदरों के हमले से कई लोग घायल हो चुके है। इस वजह से अधिकांश लोग हाथ में डंडा लेकर टहलते हैं, मगर बंदरों से उलझने का कोई साहस नहीं जुटा पाता। लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि सरकार तो बड़े-बड़े काम कर रही है, पर क्या स्थानीय प्रशासन के पास बंदरों से मुक्ति की कोई योजना नही है? क्या उसे शहर के लोगों की सेहत की कोई फिक्र नही है?