मिशन कर्मयोगी योजना को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी, जम्मू कश्मीर के लिए आएगा राजभाषा विधेयक


नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने आज मिशन कर्मयोगी योजना को मंजूरी दे दी है। सिविल सर्विस अधिकारियों को ‘कर्मयोगी’ मिशन की तहत खास ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में ये फैसला लिया गया है। सरकार का कहना है कि मिशन कर्मयोगी का लक्ष्य भारतीय सिविल सेवकों को अधिक रचनात्मक, सक्रिय, पेशेवर, प्रगतिशील और सक्षम बनाकर भविष्य के लिए तैयार करना है।

कैबिनेटक बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि कर्मयोगी योजना के तहत सिविल सर्विस के लोगों के लिए नई तकनीक और उनकी क्षमता पर ध्यान देने की कोशिश की जाएगी। जिसके लिए व्यक्तिगत स्तर से लेकर संस्थागत स्तर तक विकास करने पर जोर दिया जाएगा। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक एचआर काउंसिल का गठन किया जाएगा, जिसका काम पूरे मिशन के तहत नियुक्ति पर निर्णय लेना होगा। साथ ही इस योजना के लिए एक बड़े स्तर पर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा।

जम्मू-कश्मीर राजभाषा बिल को मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में जम्मू-कश्मीर के लिए राजभाषा विधेयक लाने का फैसला हुआ है, जिसमें हिन्दी-उर्दू-डोगरी-कश्मीरी-अंग्रेजी भाषाएं शामिल रहेंगी। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि जम्मू कश्मीर में डोगरी, हिंदी और कश्मीरी को आधिकारिक भाषाओं के रूप में शामिल करना ना केवल लंबे समय से लंबित सार्वजनिक मांग को देखते हुए किया गया, बल्कि 5 अगस्त 2019 के बाद समानता की भावना को ध्यान में रखते हुए भी इस फैसले को लिया गया। विधेयक को संसद से पटल पर रखा जाएगा।

प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीन एमओयू को मंजूरी दी है। इनमें से एक वस्त्र मंत्रालय और जापान के बीच गुणवत्ता मूल्यांकन पद्धति के लिए, दूसरा खनन मंत्रालय और फिनलैंड के बीच और तीसरा एमओयू ऊर्जा मंत्रालय और डेनमार्क के बीच है।