कोरोना काल में मानवीय संवेदनाएं मर चुकी हैं। वाराणसी के रामनगर में बेटे का शव 10 घंटे घर में पड़ा रहा लेकिन कोई झांकने तक नहीं आया। बेसुध मां की गुहार पर भी किसी का मन नहीं पसीजा। मृतक का छोटा भाई कानपुर से बनारस पहुंचा तब जाकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई। घटना का वीडियो जब वायरल हुआ तो स्थानीय जनप्रतिनिधि भी जागे और श्मशान घाट पहुंचाने में मदद की।
रामनगर किले के पास स्थित मोटरखाने में रहने वाले प्रशांत (44) की रविवार की सुबह मौत हो गई। प्रशांत की मौत को लेकर लोगों में चर्चाएं तेज हो गईं कि उसकी मौत कोरोना संक्रमण से हुई है। कोरोना से मौत की सूचना मिलने पर आसपड़ोस में रहने वाले उसके दरवाजे पर झांकने तक नहीं पहुंचे।
प्रशांत की विधवा मां मधु सक्सेना तो बेटे की मौत से बेसुध सी हो गई थी। छोटा बेटा विशाल सक्सेना कानपुर में रहकर नौकरी करता है। भाई की मौत की सूचना पर वह देर शाम तक घर पहुंचा। भाई के पहुंचने के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई। घटना की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी।
इसके बाद स्थानीय जनप्रतिनिधि, पुलिस और नगरपालिका कर्मी उसके आवास पर पहुंचे। सभासदों ने कंधा देने से लेकर अंतिम संस्कार तक परिजनों का साथ दिया। हालांकि कुछ दूरी कंधा देने के बाद नगर पालिका प्रशासन के कर्मचारी ट्राली पर शव को रखकर शमशान घाट तक ले गए। जबकि कंधा देने वालों ने ट्राली पर शव ले जाने पर आपत्ति जताई।
पालिका प्रशासन की ओर से शव को ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था नहीं किए जाने की चर्चा होती रही। रामनगर श्मशान घाट पर छोटे भाई विशाल ने बड़े भाई को मुखाग्नि दी। इस दौरान अशोक साहनी, सभासद संतोष गुप्त, संतोष शर्मा, राजेन्द्र गुप्ता, संजय यादव, मनोज समेत कई लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए। शवों के अंत्येष्टि कर्म के लिए गठित समिति के सदस्य संजय पाल भी मौके पर पर पहुंचे। प्रशांत के अंतिम संस्कार की रस्में स्थानीय श्मशान घाट पर पूरी की गईं।