वाराणसी कोर्ट ने लिया अंडरटेकिंग, सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो नहीं हो सार्वजनिक, कुछ ही समय बाद ही हो गया लीक, हिंदू पक्ष ने बताया साजिश


वाराणसी कोर्ट ने कल चल रहे काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के पक्षों को अदालत द्वारा नियुक्त सर्वेक्षण आयोग द्वारा लिए गए वीडियो और तस्वीरों की प्रतियां प्राप्त करने की अनुमति दी थी। 19 मई को कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट, वीडियो और तस्वीरें पेश की गईं। कोर्ट का 30 मई का आदेश एक चेतावनी के साथ आया था कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, वीडियो और तस्वीरों का इस्तेमाल विवाद के पक्षकारों द्वारा केवल आयुक्त की रिपोर्ट के खिलाफ आपत्ति दर्ज करने के लिए और अदालत की अनुमति के बिना, तस्वीरों और तस्वीरों का इस्तेमाल सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि वाद में पक्षकारों को केवल वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की प्रतियां प्रदान की जाएंगी और पक्षों को एक वचन/वचनबद्धता भी प्रस्तुत करनी होगी कि इसे सार्वजनिक रूप से साझा नहीं किया जाएगा। चारों महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं सार्वजनिक नहीं करेंगी। सिर्फ मुकदमे के लिए ही फोटो-वीडियो का इस्तेमाल किया जाएगा। यह आदेश 5 हिंदू महिला उपासकों / वादी द्वारा आयोग की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की प्रतियां मांगने के लिए एक आवेदन पर आया था। हालांकि मस्जिद कमेटी ने वीडियो को सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया था।

हालांकि, रिपोर्ट जमा करने के कुछ ही समय बाद, वीडियो और तस्वीरें लीक हो गईं और सर्वेक्षण के वीडियो वायरल हो गए। कई मीडिया पोर्टलों ने अपने समाचार चैनल पर सर्वेक्षण वीडियोग्राफी की सामग्री प्रदर्शित की। हिंदू पक्ष ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया- ज्ञानवापी सर्वे के फोटो-वीडियो को साजिश के तहत वायरल किया गया है। हमारे चारों लिफाफे अभी भी सील हैं। उन्हें खोला ही नहीं गया है। हम लोग कोर्ट से इस प्रकरण की शिकायत करेंगे और अपने लिफाफे वापस लौटा देंगे।