वाराणसी के घाटों पर गंगा स्नान कर लोग पिंडदान कर अपने पितरों के मोक्ष की कामना कर रहे हैं। पितरों का स्मरण कर आज के दिन जरूरतमंदों को भोजन कराने से पितरों को शांति और खुद को सुकून मिलता है। विधि विधान पूर्वक अपने पितरों की शांति के लिए श्रद्धालु श्राद्ध कर रहे हैं।
अश्विन महीने की अमावस्या को पितृ पूजा करने से पितर साल भर के लिए तृप्त हो जाते हैं। आज अश्विन महीने की अमावस्या है। ज्योतिष के संहिता ग्रंथों के अनुसार, बुधवार को अमावस्या शुभ माना जाता है। पवित्र नदियों और तीर्थों में नहाने के साथ ही दान और पूजा-पाठ करने की परंपरा है। इस दिन पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। इससे पितर संतुष्ट हो जाते हैं। इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं।
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ये ग्रह एक राशि में होंगे
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि अमावस्या को सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा। ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र ने बताया कि इस दिन सूर्य, चंद्रमा, मंगल और बुध एक ही राशि में रहेंगे। वहीं सूर्य और बुध से बुधादित्य योग बन रहा है और चंद्र-मंगल महालक्ष्मी योग्य बना रहे हैं। डॉ. मिश्र के मुताबिक, अमावस्या पर सुबह तीर्थ के जल से स्नान करें। जरूरतमंदों को अन्न-जल, कपड़े या अन्य जरूरी वस्तुओं का दान कर सकते हैं। गाय को घास भी खिलाना चाहिए।
अमावस्या पर क्या करें
बुधवार को सूरज उगने से पहले नहा लें। पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पूजा-पाठ करें। गाय के घी का दीपक लगाएं। श्रद्धा अनुसार दान का संकल्प लें। गाय को हरी घास खिलाएं, कुत्तों और कौवों को रोटी खिलाएं। अमावस्या पर महा मृत्युंजय मंत्र या भगवान शिव के नाम का जाप करें। अमावस्या के दौरान ब्राह्मण भोजन करवा सकते हैं। संभव ना हो तो किसी मंदिर में आटा, घी, दक्षिणा, कपड़े या अन्य जरूरी चीजें दान करें।