वाराणसी, । कोरोना संक्रमित मृतकों के परिजन हरिश्चंद्र घाट पर दोहरी मार का सामना कर रहे हैं। एक तो उनके परिवार का व्यक्ति इस दुनिया से चला गया और दूसरा घाट पर उसका अंतिम संस्कार के समय मनमानी शुल्क वसूली का। शुल्क ज्यादा लेने का तर्क भी अजीब रखा जा रहा है। इससे मजबूरीवश परिजनों को आठ हजार शव जलाने का और तीन हजार संक्रमित की लाश को ऊपर सड़क से चिता पर रखने का ।
गौरतलब है कि शनिवार को ही भेलूपुर पुलिस ने अंतिम संस्कार का शुल्क निर्धारित किया था। थाना प्रभारी अमित मिश्र के अनुसार लकड़ी पर कोरोना संक्रमित लाश जलाने का सात हजार और सामान्य लाश का पांच और सीएनजी का पांच सौ रुपये शुल्क निर्धारित है। उन्होंने इससे ज्यादा शुल्क लेने वालों की शिकायत दर्ज कराने की भी ताकीद की थी ताकि शुल्क ज्यादा लेने वाला के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई हो लेकिन ऐसी कोई शिकायत थाने में दर्ज नही हुई है।
इन सबके बीच रविवार को रात्रि आठ बजे तक लकड़ी से लगभग सौ लाशें जलाई जा चुकी थीं। लाशों की संख्या बढ़ जाने से हरिश्चंद्र घाट की सड़क चार पहिया वाहनों से पटी रही तो घाट पर दर्जन भर चिताएं एक साथ जल रही थीं।
नगर निगम ने पार्षद की मांग क्षेत्र को किया विसंक्रमित
स्थानीय पार्षद राजेश यादव चल्लू ने लाशों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर घाट और उसके आसपास के इलाकों को विसंक्रमित करने की मांग नगर आयुक्त से की थी। इस क्रम में नगर निगम की टीम ने लॉक डाउन की अवधि में पूरे क्षेत्र को स्थानीय पार्षद की देखरेख में विसंक्रमित किया।
प्राकृतिक शवदाह गृह पर लग रही लाशों की कतार
प्राकृतिक गैस शवदाह की हालत बदतर है। यहां लाशों की लंबी कतार लग रही है। दोपहर में जो कतार लगी रही, वह नौ बजे भी जारी रही। महज दो चिमनियों के कारण ऐसा हो रहा है। ड्यूटी पर तैनात मोहित चौधरी के अनुसार रात्रि नौ बजे तक 10 कोरोना संक्रमित और छह सामान्य लाशें ही जलाई जा सकी थीं जबकि 10 लाशें तब भी गैलरी में जलाने के लिए रखी गई थीं। ज्यादा देर तक बारी की प्रतीक्षा करने से ऊब चुके परिजन थक- हार कर लकड़ी पर दाह संस्कार का ठीका देकर लाशें जलवा रहे हैं।