काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले में गुरुवार को सुनवाई के बाद सिविल जज सिनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक की अदालत ने आगे की बहस के लिए 2 अप्रैल की तारीख नियत की है. इस दौरान एक बार फिर मस्जिद पक्ष के वकीलों की ओर से सुनवाई को टालने की मांग करते हुए अगली तारीख मांगी गई थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग नहीं मानी.
लंबे वक्त के बाद वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट की अदालत ने गुरुवार को एक बार फिर काशी विश्वनाथ मंदिर के वादी पक्ष की ओर से पुरातात्विक सर्वेक्षण रडार तकनीक से कराए जाने पर बहस शुरू हुई. दिसंबर 2019 में, अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज की अदालत में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से एक आवेदन दायर किया था.
इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया था. उन्होंने स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के ‘वाद मित्र’ के रूप में याचिका दायर की थी. बाद में, जनवरी 2020 में, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद और परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराए जाने की मांग पर प्रतिवाद दाखिल किया था.
इस बारे में सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ के वकील मोहम्मद तौहिद खान ने बताया कि पुरातात्विक सर्वे मामले में नियत तारीख पर कोर्ट में इस आशय का एडजर्नमेंट एप्लीकेशन मूव किया कि सूट की मेंटेनेबिलिटी पर हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है. हाईकोर्ट ने पत्रावली को जजमेंट के लिए रिजर्व कर लिया है. लिहाजा जब तक हाई कोर्ट का जजमेंट नहीं आ जाता तब तक इस कोर्ट की कार्यवाही न की जाए. लेकिन कोर्ट ने बहस करने को कहा जिसपर गुरुवार को पार्ट हर्ड बहस हुई और शेष बहस के लिए 2 अप्रैल की तारीख तय कर दी गई.
वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के वाद मित्र वकील विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में पुरातात्विक सर्वेक्षण और रडार तकनीक से वर्तमान विवादित ढांचा के नीचे किसी हिंदू मंदिर का अवशेष है या नहीं इसकी जांच की मांग की गई है. लेकिन अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने मामले को फिलहाल टालने की मांग की लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग नहीं मानी. इस मामले में अब 2 अप्रैल को फिर सुनवाई तय की है.