अक्सर विरोध प्रदर्शन के दौर के बाद शासन में मंत्री रहने वालों को अपने बयान से बैकफुट पर आना पड़ता है. ऐसा ही कुछ हुआ है योगी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टांप न्यायालय शुल्क एवं निबंधन विभाग के मंत्री रविंद्र जायसवाल के साथ भी. रजिस्ट्री ऑफिस में अधिवक्ताओं के प्रवेश पर रोक लगाए जाने की बात से मंत्री चर्चा में आ गए थे, लेकिन आज उन्होंने साफ कर दिया कि ऐसा कोई भी बयान नहीं दिया है.
मंत्री रविंद्र जायसवाल आज बुधवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि रजिस्ट्री ऑफिस में क्रेता-विक्रेता के ऊपर यह निर्भर करता है कि वह अपने अधिवक्ताओं को लाना चाह रहे हैं या नहीं, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि ऐसा नहीं है कि बगैर अधिवक्ताओं के रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी.
मालूम हो कि इससे पहले यही मंत्री उस वक्त सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने वाराणसी के अपने विधानसभा क्षेत्र के एक टीकाकरण केंद्र पर सिर्फ इसलिए एक व्यक्ति को मारने के लिए दौड़ा लिया था, क्योंकि उसने मंत्री जी से दुर्व्यवस्था और देर में आने को लेकर सवाल कर दिया था.
मना करने की कोई मंशा नहींः जयसवाल
मीडिया से मुखातिब होते हुए योगी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्टांप न्यायालय शुल्क एवं निबंधन विभाग के मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि वाराणसी के कुछ अधिवक्ता रजिस्ट्री ऑफिस पर धरने पर बैठकर अन्य अधिवक्ताओं को गुमराह कर रहे थे कि रजिस्ट्री ऑफिस में अधिवक्ताओं की कोई भूमिका नहीं है और वहां प्रवेश से स्टांप मंत्री ने मना किया है. इसीलिए मेरी ओर से यह अवगत कराया जा रहा है कि न तो इस तरह की कोई मनाही है और ना ही किसी तरह का निर्देश जारी किया गया है और ना ही आगे मना करने की किसी तरह की मंशा है.
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उन्होंने आगे कहा कि रजिस्ट्री विभाग भारत सरकार की है. इसमें किसी तरह का बदलाव भारत सरकार ही कर सकती है. इसलिए क्रेता विक्रेता अपनी इच्छा और सहयोग के लिए अधिवक्ताओं को ला सकते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि अधिवक्ताओं के बगैर रजिस्ट्री नहीं हो सकती है. सारा कुछ क्रेता विक्रेता के ऊपर निर्भर करता है कि वह अधिवक्ताओं को अपने साथ रखें या ना रखें. अधिवक्ताओं को रजिस्ट्री ऑफिस में न लाने पर भी रजिस्ट्री होगी.
मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि यह सारा मामला उस समय उभरा जब उनकी ओर से पश्चिमी यूपी में वर्चुअल बैठक ली जा रही थी. जहां पर यह बात निकलकर आई कि अधिवक्ताओं के नहीं आने पर रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है. जिस पर मेरी ओर से सिर्फ यही कहा गया कि अगर अधिवक्ता नहीं भी आते हैं तो भी नियमतः जैसी रजिस्ट्री होती है वैसे की जाए. जिस पर अखबार में यह छाप दिया कि अधिवक्ताओं को रजिस्ट्री ऑफिस में आने से मंत्री ने मना किया है. फिर इसी मुद्दे को लेकर अन्य अधिवक्ताओं को गुमराह किया जा रहा है.