विराट कोहली, रोहित शर्मा के बीच क्या सब कुछ ठीक चल रहा है?


मेज़बान ऑस्ट्रेलिया ने सिडनी में खेले गए पहले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में भारत को 66 रनों से हरा दिया. इस जीत के साथ ही उसने तीन मैचों की सिरीज़ में 1-0 की महत्वपूर्ण बढ़त भी हासिल कर ली है.

वैसे, ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली करारी हार से अधिक चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या भारत के कप्तान विराट कोहली और उप कप्तान रोहित शर्मा के बीच आपसी संबंधों में किसी तरह की तनातनी है?

इस तरह की बातें पहली बार तब हवा में आईं, जब भारतीय टीम पिछले साल इंग्लैंड में हुए विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में खेल रही थी.

हालाँकि उस विश्व कप में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेले गए सेमीफ़ाइनल को छोड़कर पूरे टूर्नामेंट में रोहित शर्मा ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया और एक तरह से विराट कोहली का सबसे बड़ा सहारा ही साबित हुए, लेकिन कुछ अवसरों पर विराट कोहली, रोहित शर्मा के प्रदर्शन की उतनी और उस तरह से तारीफ़ नहीं कर सके जितनी एक कप्तान के रूप में उन्हें करनी चाहिए थी.

होना तो यह भी चाहिए था कि वक़्त के साथ यह विवाद समाप्त हो जाता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. विराट कोहली और रोहित शर्मा दोनों भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी माने जाते हैं. ज़ाहिर है, इनमें से कोई भी एक कदम आगे बढ़कर इन अटकलों पर विराम लगाने की कोशिश नहीं करेगा.

अगर ऐसा नहीं होता तो दोनों खिलाड़ी मैदान के बाहर ही ड्र्सिंग रूम में बैठकर आपस में बात कर लेते या फिर किसी भी मैच के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भी एक साथ आ सकते थे क्योंकि विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के बाद भी दोनों खिलाड़ी कई बार साथ-साथ खेले हैं.

क्यों बढ़ रही हैं दूरियाँ?

शायद कामयाबी के रथ पर सवार विराट कोहली और रोहित शर्मा की ‘इगो’ या फिर कहें कि ‘अहम्’ इनके बीच की दूरियाँ बढ़ा रहा है.

ये दूरियाँ इतनी अधिक हैं कि ऑस्ट्रेलिया पहुँचने के बाद कप्तान विराट कोहली ने शुक्रवार को खेले गए पहले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच से एक दिन पहले प्रेस कांफ़्रेंस में कहा कि रोहित शर्मा की चोट को लेकर भ्रम की स्थिति है और उनके पास चोट की स्थिति को लेकर पूरी सूचना नहीं है.

विराट कोहली ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं पता कि बाकी टीम के साथ रोहित शर्मा क्यों नहीं आए.

विराट कोहली ने कहा कि चयन समिति की बैठक से पहले उन्हें ईमेल मिला था कि रोहित शर्मा उपलब्ध नहीं है.

कोहली के मुताबिक़, “ईमेल में कहा गया था कि रोहित शर्मा को आईपीएल के दौरान चोट लगी थी. लेकिन इसके बाद रोहित शर्मा आईपीएल में खेले और सभीने सोचा कि वो ऑस्ट्रेलिया जाने वाली फ़्लाइट में होंगे. हम अभी भी उनके बारे में स्पष्ट जानकारी का इंतज़ार कर रहे हैं.”

विराट कोहली ने कहा कि उन्हें सिर्फ़ इतनी सूचना मिली है कि वो एनसीए में हैं और उनका आकलन किया जा रहा है. 11 दिसंबर को उनका दोबारा आकलन होगा.

अब अगर विराट कोहली कह रहे हैं तो सच ही कह रहे होंगे लेकिन कमाल की बात है कि इनमें आपसी संवाद की भी इतनी कमी है कि इस मुद्दे पर दोनों खिलाड़ी खुलकर आपस में बात करने को तैयार नहीं हैं, वो भी तब, जब दोनों संयुक्त अरब अमीरात में खेले गए बीते आईपीएल में एक दूसरे के ख़िलाफ़ आमने-सामने भी हुए.

सभी ने देखा कि हार-जीत को भुलाकर कई टीमों के खिलाड़ी आपस में या विरोधी टीम के कोच से भी खुलकर बात कर रहे थे.

इन सब बातों के बीच रोहित शर्मा की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने ख़ुद अपनी चोट को लेकर खुलकर बात नहीं की है.

एक तरफ़ वह चोटिल घोषित होते हैं और ऑस्ट्रेलिया दौरे से उन्हें हटा दिया जाता है. दूसरी तरफ़ वो इसके बाद आईपीएल का क्वॉलिफ़ायर और फ़ाइनल मुक़ाबला खेलते भी हैं और कप्तान के तौर पर ख़िताबी मुक़ाबला जीतकर अपना रुतबा भी बढ़ाते हैं.

बीसीसीआई क्या कर रही है?

वैसे, इन हालात में किरकिरी बीसीसीआई की साख़ की भी हुई जो पूरे मामले में मूक दर्शक साबित हुई. उसके व्यवहार में क़तई भी परिपक्वता दिखाई नहीं दी.

भारतीय क्रिकेट का इतिहास इस तरह के ढेरों क़िस्सों से भरा पड़ा है जब खिलाड़ियों ने घरेलू क्रिकेट में खेलने के नाम पर अपने आपको चोटिल घोषित किया लेकिन जैसे ही विदेशी दौरे पर जाने की बात सामने आई तो फ़िटनेस सर्टिफिकेट लेकर पहुँच गए.

लेकिन यहाँ मामला उलटा दिखाई दे रहा है. रोहित शर्मा आईपीएल फ़ाइनल खेलकर दिखाना चाह रहे हैं कि वो फ़िट हैं और उन्हें चोटिल घोषित किया जा रहा है.

वैसे, खिलाड़ियों के बीच आपसी तनातनी के ढेरों मामले पूरी दुनिया में सभी खेलों में हैं. भारत भी इससे अछूता नहीं है.

क्रिकेट तो छोड़िए, भारतीय टेनिस टीम तक में लिएंडर पेस और दूसरे खिलाड़ियों में विवाद रहा है. पेस और महेश भूपति विवाद के बारे में कौन नहीं जानता?

सुनील गावस्कर और कपिल देव आज तक उस विवाद के बारे में सफ़ाई देते रहते हैं, जब साल 1984-85 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान गावस्कर कप्तान थे और कपिल देव को दिल्ली में खेले गए टेस्ट मैच के बाद टीम से बाहर कर मोहम्मद अज़हरुद्दीन को टीम में शामिल किया गया.

इसके अलावा एक बार तो भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को इंग्लैंड में पूरी टीम के साथ प्रेस कांफ़्रेंस में सिर्फ़ यह दिखाने के लिए आना पड़ा कि उनके और वीरेंद्र सहवाग के बीच कोई विवाद नहीं है.

सब जानते हैं कि बाद में महेंद्र सिंह धोनी और वीरेंद्र सहवाग ही नहीं बल्कि गौतम गंभीर, वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ के रिश्ते किस अंजाम को पहुँचे.

‘तमाशा बन गया है पूरा मामला’

अब सौ बातों की एक बात यह कि इन बातों में कुछ सच्चाई भी है या फ़िर यह सब कुछ लोगों का ख़याल है?

पूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता रहे अशोक मल्होत्रा कहते हैं, “यह पूरा मामला एक तमाशा-सा बन गया है. अगर बीसीसीआई और चयनकर्ता पारदर्शी रहते तो शायद सबके लिए बेहतर होता.”

“रोहित शर्मा ने कहा कि 12 दिन में छह मैच नहीं खेल सकते लेकिन आईपीएल में तीन मैच खेल गए वो भी कम दिनों के अंतराल में. सबसे बड़ी बात अगर वह चोटिल थे तो बीसीसीआई ने उन्हें आईपीएल के मैच खेलने की इजाज़त क्यों दी?”

“रोहित शर्मा को या तो बीसीसीआई या फ़िर फिज़ियो से बात करनी चाहिए थी. ऐसा लगता है जैसे एक संशय की स्थिति बन गई है, समझ में नहीं आ रहा है कि क्या ग़लत है क्या सही.”

“अब अगर रोहित शर्मा को रिहैब में ही जाना था तो वो ऑस्ट्रेलिया में भी जा सकते थे. अब वो ऑस्ट्रेलिया जाएँगे तो भी उन्हें 14 दिन क्वारंटीन होना पड़ेगा. उन दिनों ना तो वह बाहर निकल पाएँगे और ना ही खेल सकेंगे. अगर वो भारतीय टीम के साथ जाते तो क्वारंटीन समय पहले ही निकल जाता. ऐसा लगता है जैसे परेशानियाँ खड़ी कर दी गई हैं और कोई भी इस बारे में साफ़-साफ़ बात नहीं कर रहा है.”

अब इस स्थिति का ज़िम्मेदार कौन है?

अशोक मल्होत्रा मानते हैं कि बीसीसीआई के अध्यक्ष और चयन समिति इसके लिए ज़िम्मेदार है. वो कहते हैं कि खिलाड़ियों का आपस में भिड़ना जायज़ नहीं है और उन्हें अपनी इगो (अहंकार) को दूर रखना होगा.

तो क्या विराट कोहली या रोहित शर्मा इसमें पहल करेंगे? अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि जब खेल समाप्त हो जाता है तब सब दोस्त हो जाते है, लेकिन जब तक खेल जारी रहता है तब तक कोई पहल नहीं करता.

ऐसे में बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली जो पूर्व कप्तान भी रहे हैं और सब बातों से निपटना जानते हैं उन्हें सामने आना पड़ेगा.

जब कपिल देव को टीम से निकाला गया था तब सुनील गावस्कर और कपिल देव के बीच सुलह कराने के लिए तत्कालीन बीसीसीआई पदाधिकारी एनकेपी साल्वे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. रोहित शर्मा को इतने महत्वपूर्ण ऑस्ट्रेलिया दौरे से बाहर नहीं रखा जा सकता.

क्या विराट कोहली के लिए कप्तानी काँटों का ताज साबित हो रही है? इस पर अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि हर कप्तान के अपने-अपने चहेते होते हैं.

वो कहते हैं, “हो सकता है ऐसे में कप्तान को उप कप्तान रास ना आता हो. हो सकता है कुछ ऐसी बातें हो गई हो क्योंकि छोटी-मोटी बातें हो सकती हैं. ऐसे में ग़लती अगर चयनकर्ताओ की या बीसीसीआई की है तो ग़लती रोहित शर्मा की भी है. रोहित शर्मा ने अपना पक्ष अभी तक साफ़ तौर पर क्यों नहीं रखा है?”

“रोहित शर्मा ने क्यों नहीं कहा है कि उन्होंने कोई रिपोर्ट नहीं दी है और वह ऑस्ट्रेलिया जाना चाहते है. वो क्यों रिहैब में एनसीए गए और सीधे ऑस्ट्रेलिया क्यों नहीं गए. ये सब वो बातें हैं, जो गले से नहीं उतरती. यह मामला संशय में हैं और सुधरता नहीं दिख रहा है.”

भारतीय क्रिकेट पर इस विवाद से कितना असर?

ये बातें भारतीय क्रिकेट के लिए कितनी ख़राब हैं? अशोक मल्होत्रा का मानना है कि ये सब बिलकुल ठीक नहीं है.

वो कहते हैं, “एक तरफ़ तो विराट कोहली पहले टेस्ट मैच के बाद वापस भारत आ रहे हैं दूसरी तरफ़ रोहित शर्मा को टेस्ट सिरीज़ के लिए चुना गया है जबकि वो एकदिवसीय क्रिकेट के बेताज बादशाह हैं. पाँच शतक उन्होंने विश्व कप में लगाए हैं.”

“रोहित शर्मा जानते हैं कि उनका रिकॉर्ड उतना ही अच्छा है, जितना विराट कोहली का. जितने महत्वपूर्ण विराट कोहली एकदिवसीय या टी-20 में हैं उतने ही महत्वपूर्ण रोहित शर्मा भी हैं. रही बात टेस्ट मैच की तो अगर रोहित शर्मा 11 दिसम्बर को बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंचते है तो निश्चित रूप से भारतीय टीम को काफ़ी महंगा साबित होने जा रहा है.”

“इन हालात में ऑस्ट्रेलियाई टीम का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है और उनके जीतने की संभावना भी अधिक है. अब टक्कर काँटे की है जिसमें युवा खिलाड़ियों से बहुत अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर सकते.”

तो क्या वाक़ई दाल में कुछ काला है या यह सिर्फ़ अनुमान है?

अशोक मल्होत्रा कहते हैं कि दाल में कुछ काला नहीं है पूरी दाल ही काली है. क्योंकि किसी ना किसी ने गड़बड़ ज़रूर की है तभी तो रोहित शर्मा को एक झटके में एकदिवसीय क्रिकेट से बाहर कर दिया गया.

वो पूछते हैं, “अगर रोहित शर्मा ने कहा कि वो फ़िट नहीं हैं तो उन्हें आईपीएल में खेलने की इजाज़त किसने दी? क्या आईपीएल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बड़ा है? क्या आईपीएल के फ्रैंचाइज़ी बीसीसीआई से बड़े हैं. ये कुछ ऐसी बातें हैं जो गले से नीचे नहीं उतरती. वैसे विराट कोहली और रोहित शर्मा दोनों समझदार हैं और धीरे-धीरे दोनों समझ भी जाएंगे.”

मल्होत्रा कहते हैं कि हो सकता है हम सब समझ रहे हैं कि दोनों के बीच कुछ ऐसा-वैसा है जो शायद ना भी हो, लेकिन अभी ऐसा लगता है कि कुछ ना कुछ गड़बड़ है.

रोहित शर्मा और विराट कोहली को लेकर एक और पूर्व क्रिकेटर और चयनकर्ता रहे मदन लाल जो ख़ुद इस तरह के कई विवाद देख चुके हैं बड़ी साफ़गोई से कहते हैं कि यह झगड़े नहीं वरन विचारों की बात होती है.

कई बार इगो आपस में टकराते हैं तो कई बार आपसी मतभेद भी हो जाते है. इसलिए कहा भी जाता है कि दो टक्कर के या बड़े खिलाड़ियों में आपसी संवाद बेहद महत्वपूर्ण है.

वो कहते हैं, “यह संवाद चयनकर्ताओं और सहयोगी स्टाफ़ में भी शानदार होना चाहिए क्योंकि कप्तान तो आख़िर कप्तान है. उसे हर चीज़ के बारे में मालूम होना चाहिए, आख़िरकार वही टीम को चलाता है. विराट कोहली ने प्रेस कांफ़्रेंस के माध्यम से अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की. जब टीम का कोई शीर्ष खिलाड़ी टीम में ना हो तो कप्तान तो चिंता तो होती है.”

रोहित शर्मा मैच जीतने वाले खिलाड़ियों में से हैं, उनका टीम के साथ ना होना विराट कोहली को खला. विराट कोहली ने कहा भी कि अगर रोहित शर्मा दुबई से ही टीम के साथ ऑस्ट्रेलिया चले जाते और वहीं 14 का क्वारंटीन लेते तो बेहतर होता.

मदन लाल कहते हैं, “इससे यह भी पता चल जाता कि वो कितने फ़िट हैं. अगर वो फ़िट नहीं होते तो वापस आ जाते लेकिन अब तक तो कप्तान विराट कोहली को भी मालूम नहीं है कि वो खेलेंगे या नहीं. टीम के कप्तान और कोच को मालूम होना चाहिए कि कौन-सा खिलाड़ी किसकी जगह ले सकता है.”

दो खिलाड़ी आपस में बात क्यों नहीं करते?

रोहित शर्मा और विराट कोहली के बीच संवादहीनता को लेकर मदन लाल कहते हैं कि इसमें विराट कोहली की कोई ग़लती नहीं है.

वो कहते हैं, “रोहित शर्मा को जब अनफ़िट घोषित किया गया तब भी उन्होंने मुंबई इंडियंस के लिए आईपीएल के मैच खेले. तो क्या उनकी चोट ठीक हो गई थी या और बिगड़ गई थी? उन्होंने अच्छी बल्लेबाज़ी भी की क्योंकि 20-20 क्रिकेट में तो अनफ़िट होने के ज़्यादा चांस होते हैं.”

यह भी एक मुद्दा है कि रोहित शर्मा अगर आराम कर लेते तो बेहतर होता लेकिन बाद में रोहित शर्मा ने कहा कि उन्होंने स्थिति को संभाल लिया. अब रोहित शर्मा भारतीय टीम के लिए भी तो ऐसा कर सकते थे.

तो क्या दो खिलाड़ी आपस में बात नहीं कर सकते, वह भी कप्तान और उप-कप्तान?

मदन लाल कहते हैं कि वो आपस में बात कर सकते हैं लेकिन चयनकर्ता रहने के कारण वह जानते हैं कि पहले बात चयनकर्ताओ के पास जाती है. उसके बाद बात कप्तान तक जाती है और वह खिलाड़ी से बात करता है. जब विराट कोहली को बताया ही नहीं गया कि रोहित शर्मा कितने फ़िट या अनफ़िट है तभी तो उन्होंने प्रेस कॉफ़्रेंस में अपनी नाराज़गी दिखाई.

लेकिन क्या वाक़ई इन दोनों खिलाड़ियों के बीच टकराव है?

इस बारे में मदन लाल कहते हैं, “टकराव किस बात को लेकर हो सकता है. इनके विचार अलग हो सकते है. रोहित शर्मा को कप्तान या उप-कप्तान बनाना विराट कोहली के हाथ में नहीं है.”

मदन लाल कहते हैं कि अगर वह ख़ुद चयनकर्ता होते तो रोहित शर्मा का ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चयन करते और कहते कि अगर आप 60-70 प्रतिशत भी फ़िट हैं तो टीम के साथ चलिए. अगर वो बिलकुल फ़िट नहीं होते तो उनकी जगह कोई और एक खिलाड़ी रख लेते.

कैसे दूर होगी दूरी?

इस सवाल के जवाब में मदन लाल कहते हैं कि टकराव नहीं है और ना ही यह रहेगा क्योंकि हर खिलाड़ी अपने प्रदर्शन के दम पर टीम में आता या रहता है. अगर प्रदर्शन ही अच्छा नहीं है तो टकराव क्या करेगा ? टकराव से तो प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहता.

अब अगर रोहित शर्मा एकदिवसीय या 20-20 क्रिकेट में कप्तान बनना चाहते हैं और यही वजह अगर विराट कोहली से टकराव या अनबन का कारण है तो इसमें विराट कोहली का क्या क़सूर है?

मदन लाल कहते हैं कि यह तो चयनकर्ताओं पर निर्भर करता है कि वह किसे कप्तान बनाना चाहते हैं. इस बात को लेकर किसी खिलाड़ी को नाराज़ नहीं होना चाहिए क्योंकि वो भारत के लिए खेल रहा है.

रोहित शर्मा बहुत बड़े खिलाड़ी हैं और ऐसा नहीं लगता कि उनके मन में कोई ऐसी बात है. जब उनके कप्तान बनने की बारी आएगी तो वह कप्तान बन ही जाएंगे.

अगर वो एकदिवसीय और 20-20 में अच्छी कप्तानी करते हैं तो यह तो भारत के लिए और भी अच्छा है कि जो कभी भी कप्तान बन सकता है. अब अगर विराट कोहली तीनों फ़ॉर्मैट में कप्तान है तो वो इसके हक़दार भी तो हैं.

अंत में सारी बातों का निचोड़ निकालकर मदन लाल साफ़ साफ़ कहते हैं कि रोहित शर्मा फ़िट नहीं हैं लेकिन वह कितना अनफ़िट है यह वह ख़ुद जानते हैं. अनफ़िट होकर भी आईपीएल में रोहित शर्मा का खेलना बताता है कि प्रोफ़ेशनल होने के कारण फैंचाइज़ी के लिए उन्हें खेलना ही पड़ता.

मदन लाल एक ख़ास बात करते हैं कि मैं चयनकर्ता होता तो कहता आप अनफ़िट होने के बावजूद खेले और रन भी बनाए तो कोई बात नहीं आप टीम के साथ चलो. 10-15 प्रतिशत तो आप वहीं ठीक हो जाओगे, क्योंकि रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ी को छोड़ा नहीं जा सकता.

पहले एकदिवसीय मैच में जिस तरह का विकेट था अगर रोहित शर्मा टीम में होते तो वह इतने रन बनाते कि शायद भारत मैच जीत भी जाता. ऐसा लग रहा था जैसे भारतीय विकेट पर बल्लेबाज़ी हो रही है.

ख़ैर मैच का परिणाम तो जो होना था हो गया लेकिन विराट कोहली और रोहित शर्मा के बीच की दीवार जितना जल्दी गिरे उतना ही भारतीय टीम के लिए अच्छा है.