कुदरत ने इंसान को जीवन के आधार तत्व पृथ्वी, आकाश, जल, वायु और अग्नि में समाहित असंख्य नियामतें बख्शी हैं जो मुफ्त होने के साथ लाजवाब भी हैं। हालांकि हमने अपने स्वार्थ साधने के लिए सभी तरह की प्राकृतिक संपदाओं का मनमाने ढंग से उपयोग किया है फिर भी सब कुछ सहते हुए मां प्रकृति अपनी ओर से मानव जीवन को बेहतर बनाए रखने के लिए तोहफे अभी भी निरंतर उपलब्ध करा रही है। इन्हीं बेहद उपयोगी उपहारों में से एक है सूरज की धूप। संसार में किसी भी किस्म का प्राणी बिना धूप के जिंदा नहीं रह सकता। आम तौर पर सभी जानते हैं कि सूरज की किरणों में अनेक बीमारियों के कीटाणुओं को नष्ट करने की शक्ति समाहित होती है। धूप का सेवन मानव शरीर को विटामिन डी उपलब्ध करवाता है जिसे धूप विटामिन या सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है जो फास्फोरस और कैल्शियम से भरपूर होने के कारण दांतों और हडिड्यों को सुदृढ़ बनाने में सहायक बनता है।
धूप के अभाव में त्वचा पर हानिकारक विजातीय तत्वों की एक परत सी जम जाती है जो शरीर में कई प्रकार के रोग उत्पन्न कर सकती है। इस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए धूप का प्रयोग बेहद जरूरी है। हम सभी को नियमित रूप से धूप का सेवन करते रहना चाहिए हां गोरी चमड़ी वालों को कम व दूसरों को थोड़ा ज्यादा। हर व्यक्ति, शरीर, चमड़ी सृष्टि ने भिन्न बनाई है इसलिए सभी के लिए धूप की जरुरत भी अलग अलग होगी। चिकित्सीय परामर्श भी आवश्यक है। गर्मियों की धूप तो, इंसान द्वारा ग्लोबल टेम्प्रेचर बिगाड़ देने के बाद जानलेवा हो गई है इसलिए सर्दियों की धूप की ही बात की जाए तो मानसिक शांति बरकरार रहेगी। सर्दियों के मौसम में तो आवश्यक रूप से धूप स्नान करना ही चाहिए। धूप स्नान की पहली शर्त है पिगमेंट प्राप्त करना। पिगमेंट दरअसल एक ऐसी हल्की सी परत है जो नियमित रूप से धूप सेवन करने से त्वचा पर स्वत: चढ़ जाती है। ऐसी अवस्था में त्वचा का रंग हल्का बादामी सा हो जाता है। यह रंग धीरे धीरे गहरा होता जाता है। त्वचा पर पिगमेंट जितना गहरा होगा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता उतनी ही अधिक होती जाएगी।
सर्दी में प्रतिदिन सहनशक्ति व समय की उपलब्धता के मुताबिक सुबह से दोपहर बाद तक की धूप का सेवन करना उचित रहता है। बच्चों के रोग रिक्टेस, पाचन रोग, रक्ताल्पता आदि में धूप स्नान अत्यंत उपयोगी है। धूप स्नान से रक्त संबंधी रोगों में भी पर्याप्त लाभ होता है। खासतौर पर रक्ताल्पता वाले रोगों के रोगियों के लिए तो धूप स्नान वरदान है। गठिया, वायु रोग व जोड़ों के दर्द आदि बीमारियों में धूप चिकित्सा खासी उपयोगी सिद्ध हुई है। स्नायू संबंधी मानसिक रोगों के उपचार में धूप चिकित्सा अनुपम योगदान कर सकती है। हमारी भारतीय संस्कृति में हजारों बरस से सुबह उठकर सूर्य नमस्कार की अद्भुत परम्परा विद्यमान है क्योंकि उस समय आ रही सूर्य की सौम्य किरणें शरीर के लिए बहुत उपयोगी होती हैं। राजयक्ष्मा जैसे भयानक रोग के कीटाणुओं को भी सूर्य की प्रखर किरणें नष्ट करने की क्षमता रखती हैं। इसके अतिरिक्त भगंदर हडिड्यों का शैथिल्य आदि रोग धूप स्नान से नष्ट हो जाता है।
सूर्य स्नान के कारण शरीर की रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होने के साथ साथ वजन भी बढ़ता है। सूर्य की धूप में मल विकार दुर्गन्ध और विष को दूर करने की अद्भुत क्षमता विद्यमान है। सूरज की एक एक किरण में सेहत की रोशनी भरी है। मगर यह रोशनी हमें संयमित तरीके से लेनी चाहिए ज्यादा धूप सेंकनी ही हो तो चमड़ी के कैंसर से बचने के लिए सनस्क्रीन अवश्य उपयोग में लाना चाहिए। मैदानी इलाकों में गर्मियों की धूप तो बेहद तड़पाती है मगर सर्दी में सूर्य के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं और उधर इस ठिठुरते मौसम में पहाड़ों पर सुबह ही धूप अवतरित हो जाती है। कुदरत का यही तोहफा हर बरस अनगिनत पर्यटकों को आमंत्रित करता है, वह धूप सेंकने ही पहाड़ों पर आते हैं। यहां रहने वाले मकान ऐसे बनाए जाते हैं जिनमें धूप अवश्य प्रवेश करती हो क्योंकि धूप है ही अनूठी हमारे जीवन के लिए। तो इस बार यह स्वास्थ्यवर्धक टॉनिक लेने के लिए क्यूं न चलें किसी पहाड़ी स्थल पर और गुनगुनी धूप खाने के बाद मां प्रकृति का शुक्रिया भी अदा करें।