जिन लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण है उनमें से अधिकतर लोग आराम करने और पैरासिटामॉल जैसी दर्द कम करने की दवा लेने से ठीक हो सकते हैं। अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत तब होती है जब व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आनी शुरू हो जाए। मरीज के फेफड़ों की जांच कर डॉक्टर इस बात का पता लगाते हैं कि संक्रमण कितना बढ़ा है और क्या मरीज को आॅक्सीजन या वेंटिलेटर की जरूरत है। लेकिन इसमें मरीज को अस्पताल के आपात विभाग यानी ऐक्सीडंट ऐंड इमर्जेंसी में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की वेबसाइट पर कोरोना संक्रमण से जुड़ी हर जानकारी दी गई है। ब्रितानी नागरिक एनएचएस111 की वेबसाइट पर कोरोना से जुड़ी सभी जानकारी ले सकते हैं। अगर मरीज को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही है तो वो भारत सरकार के हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 या फिर 24 घंटों चलने वाले टोल फ्री नंबर 1075 पर संपर्क कर सकते हैं। देश के विभिन्न राज्यों ने भी नागरिकों के लिए हेल्पलाइन शुरू किए हैं जहां जरूरत पड़ने पर फोन किया जा सकता है। वहीं ब्रिटेन में इमर्जेंसी की स्थिति में व्यक्ति 999 नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। यहां कोरोना वायरस के मरीजों के आॅक्सीजन की जरूरत को मुंह पर आॅक्सीजन मास्क लगा कर या फिर नाक में ट्यूब के जरिए पूरा किया जाता है। जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं उन्हं वेंटिलेटर पर रखा जाता है। यहां सीधे फेफड़ों तक आॅक्सीजन की अधिक सप्लाई पहुंचाई जाती है। इसके लिए मरीज के मुंह में ट्यूब लगाया जाता है या फिर नाक या गले में चीरा लगा कर वहां से फेफड़ों में आॅक्सीजन दिया जाता है।