आखिर बेरोजगारी कब घटेगी सरकार?


(डॉ. लोकनाथ पाण्डेय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। कम होती इनकम, घटती नौकरियों के बीच मंदी का दुष्चक्र अब दम निकालने पर मानो आमादा है। युवाओं के पढ़ाई लिखाई के अनुसार काम का सर्वथा अभाव है तो बेरोजगारी का दानव मुँह बाए खड़ा है। अर्थ व्यवस्था के सारे आंकड़े फिलहाल चिंताजनक ही नजर आ रहे हैं। सरकारी नौकरी पेशा व बड़े व्यवसायियों के अलावा आम आदमी के पास पैसे का सर्वथा अभाव बना हुआ है। लिक्विडिटी कम होने व आम आदमी के पास पैसा न होने से बाजार में खरीददारों का भी बेहद अभाव बना हुआ है।

आॅटो सेक्टर मंदी के दौर में है। निजी निवेश 17 साल के निचले स्तर पर चला गया है। बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ दशकों के निचले पायदान पर है। होली का त्यौहार सिर पर होने के बावजूद अब तक बाजारों में खरीददार बेहद कम निकल रहे हैं। यह सभी कारक भयानक बेरोजगारी व मंदी की ओर ही इशारा कर रहे। सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि 90दिन के अंदर लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। हरवर्ष करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया होंगे जो छलावा ही सिद्ध हुआ। बेसिक शिक्षा ,पुलिस विभाग, रेलवे में अब भी लाखों पद खाली चल रहे। बी टेक,एमटेक, बीएड ,पीएचडी करने वाले तमाम युवा जहां पढ़ाई पर लाखों खर्च कर 10 से 15 हजार की नौकरी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे तो मॉल कल्चर के चलते छोटे दुकानदारों के निवाले के लाले पड़ते दिख रहे। आशापुर से पांडेयपुर के बीच में ही बड़े-बड़े दर्जन भर मॉल खुल जाने से सैकड़ो दुकानों पर ग्राहकी कमजोर हो गई। यही हाल शहर के सिगरा मलदहिया ,लहुराबीर, लंका, समेत तमाम इलाकों का है। आन लाइन कारोबार ने कोढ़ में खाज का काम किया है। लोग सस्ते के चक्कर में क्वालिटी विहीन सामानों की खरीददारी सीधे आन लाइन कर रहे। तमाम कम्पनियां व ब्रोकर आन लाइन नकली मॉल बेचकर ग्राहकों के साथ सरकार को भी खूब चूना लगा रहे है। छोटे दुकानदारों की शायद अब किसी को चिंता ही नहीं है। लोग पूछ रहे आखिर कब तक ऐसा चलेगा सरकार ?