भारत में कोरोना से क्यों हो रही इतनी मौतें? सरकारी आंकड़ों में उलझा है जवाब


भारत में कोरोना से जान गंवाने वालों का आंकड़ा बढ़ता क्यों जा रहा है? इस सवाल का जवाब सरकारी आंकड़ों में उलझा हुआ है. दरअसल, सरकार के एक डेटा में दावा किया गया है कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में अधिकतर मरीजों को क्रिटिकल केयर की जरूरत है, लेकिन दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा बढ़ा नहीं है.

यानी सरकार एक ओर मान रही है कि कोरोना की दूसरी लहर में अधिकतर मरीजों को क्रिटिकल केयर की जरूरत है, लेकिन दूसरी तरफ इससे भी इनकार कर रही है कि दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा बढ़ा है. सरकार का कहना है कि देश के अलग-अलग हॉस्पिटल में अभी करीब 50 हजार लोग आईसीयू में क्रिटिकल केयर इलाज करा रहे हैं.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 50 हजार मरीज अभी आईसीयू में भर्ती हैं, जिसमें 14,500 लोग वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. सरकार के ही आंकड़े के मुताबिक, देश में अभी 1.37 लाख मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है. यानी सरकार के मुताबिक, वर्तमान केसलोड के 1.34 फीसदी मरीज ही आईसीयू में हैं.

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान केसलोड के 0.39 फीसदी लोग ही वेंटिलेटर सपोर्ट पर है, जबकि 3.7 फीसदी ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. अगर कोरोना की पहली लहर से तुलना की जाए तो उस दौरान 23 हजार लोग आईसीयू में थे, 4 हजार मरीज वेंटिलेटर पर थे और 40 हजार से अधिक लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत थी.

इसका मतलब है कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में क्रिटिकल केयर की ज्यादा जरूरत है. हालांकि, सरकार का कहना है कि पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में मौत का आंकड़ा बढ़ा नहीं है. मेदांता हॉस्पिटल के डॉक्टर अरविंदर सिंह का कहना है कि दूसरी लहर में ऑक्सीजन, हॉस्पिटल बेड और आईसीयू की कमी से लोग ज्यादा मर रहे हैं.

बढ़ते मौत के आंकड़े पर डॉक्टर यह भी बताते हैं कि अस्पताल में दवाओं की भूमिका बहुत कम होती है और उनके आस-पास पैनिक अनावश्यक होती है. देश में कोरोना वायरस से अब तक 2.18 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं. सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इसमें से 2.23 फीसदी मरीजों को ही आईसीयू में एडमिट कराया गया है.

सरकार का दावा है कि 92 फीसदी लोगों को क्रिटिकल केयर सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी. वह घर पर रहकर सही हो गए. पहली लहर और दूसरी लहर में तुलना की जाए तो दूसरी लहर में क्रिटिकल केयर सपोर्ट की जरूरत दोगुनी हो गई. इस वजह से लोगों के सुविधाएं नहीं मिल पाई और मौत का आंकड़ा बढ़ता चला गया.