यमन में मरने के कगार पर चार लाख बच्चे


जेनेवा/साना: हथियारों की खरीद-बिक्री में अरबों खरब डॉलर फूंक देने वाली दुनिया यमन को मदद देने के नाम पर कंजूस और बेरहम हो जाएगी, इसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। यमन में लाखों बच्चे और महिलाएं की नौबत भूख से मरने की हो गई है मगर यमन को दुनिया ने यतीम की तरह छोड़ दिया है। जिसके बाद यूनाइटेड नेशंस ने कहा है कि दुनिया का यमन के प्रति ये रवैया मौत की सजा से कम नहीं है।

यमन की मदद से पीछे हटे सभी देश

इंटरनेशनल डोनर कॉन्फ्रेंस के दौरान यूनाइटेड नेशंस चीफ ने पूरी दुनिया के लिए चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यमन की मदद के लिए जितने फंड की जरूरत थी उसका आधा भी जमा नहीं हो पाया है और ये यमन की लाखों महिलाओं और बच्चों के लिए ‘मौत की सजा’ से कम नहीं होगा। यूनाइडेट नेशंस ने यमन की मदद के लिए 3.85 बिलियन डॉलर जमा करने का टार्गेट रखा था मगर दुनिया के सभी देशों ने मिलकर सिर्फ 1.7 बिलियन डॉलर की ही मदद दी है। जिसके बाद यूनाइटेड नेशंस अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि ‘यमन के रहने वाले लाखों बच्चे, महिलाएं और युवकों को जिंदा रहने के लिए तत्काल मदद की जरूरत है और उनकी मदद में कमी करना मतलब उनके लिए ‘मौत की सजा’ लिखना है’

यूनाइटेड नेशंस चीफ ने दुनिया से अपील करते हुए कहा है कि ‘यमन की मदद के लिए तत्काल फंड की जरूरत है। मैं उन देशों की शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने मदद की है और मैं सभी देशों से फिर से अपील करना चाहता हूं कि जल्द से जल्द यमन की मदद के लिए आगे आएं’

मौत के मुहाने पर लाखों लोग

2014 के बाद से छिड़े युद्ध ने यमन को बुरी तरह से तोड़कर रख दिया है। हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी समेत एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया। जिसके बाद यमन में लगातार लगातार लड़ाई होने लगी। हूती विद्रोहियों के कब्जे से यमन को मुक्त करने के लिए 2015 में सऊदी अरब और यूएई ने अपनी अपनी फौज को गठबंधन बनाकर यमन में उतार दिया, जिसे अमेरिका की फौज मदद दे रही थी। हूती विद्रोहियों को काबू में करने में गठबंधन की सेना बहुत हद कर कामयाब तो रही लेकिन यमन ये खतरनाक स्तर पर भूखमरी की नौबत पैदा हो गई। गठबंधन सेना और हूती विद्रोहियों…दोनों पर मानवता को मौत के घाट उतारने के आरोप लगे हैं। दोनों ने मिलकर हजारों बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार दिया। यमन के बड़े इलाके से इन्फ्रास्ट्रक्चर बर्बाद कर दिया गया और लाखों लोगों के सामने खाने का संकट पैदा कर दिया। अब स्थिति ये है कि लाखों लोगों के सामने एक वक्त की रोटी खाने तक को पैसे नहीं हैं।

यमन को मदद में कंजूसी

यमन के लाखों लोगों की मदद के लिए यूनाइटेड नेशंस फंडिंग करता है। लेकिन, यमन की मदद के नाम पर विश्व के तमाम देश कंजूसी करते दिखाई देते हैं। पिछले साल भी यमन को जितने पैसों की मदद की दरकार थी उससे कम पैसे मदद में मिले थे और इस साल भी वही हाल है। सोमवार को यमन की मदद के लिए हुए कॉन्फ्रेंस में 100 से ज्यादा लोग शामिल हुए। जिसमें अमेरिका ने 191 मिलियन डॉलर की मदद दी तो सऊदी अरब ने 430 मिलियन डॉलर की मदद दी है। वहीं, जर्मनी ने 241 मिलियन 241 डॉलर का डोनेशन दिया है।