(राजीव जायसवाल)
मुगलसराय/चंदौली (काशीवार्ता)। चंदौली जिला पंचायत में वैसे तो बहुमत किसी को नहीं मिला है और सपा समर्थित सदस्यों की संख्या सबसे ज्यादा है फिर भी सबकी निगाहें बीजेपी के होने वाले उम्मीदवार पर टिकी हैं। इसकी वजह भी है क्योंकि बीजेपी में ही एक तरफ बाहुबली विधायक सुशील सिंह हैं तो दूसरी तरफ पूर्व अध्यक्ष छात्रबली सिंह हैं। छत्रबली सिंह एक बार खुद तो दूसरी बार अपनी पत्नी सरिता सिंह को विजयी बनवा चुके हैं। सरिता सिंह ने सुशील सिंह की पत्नी किरण सिंह को हरा कर यह प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर विजय हासिल की थी। जाहिर सी बात है सुशील सिंह के मन में वह टीस अभी भी होगी। छत्रबली सिंह सपा बसपा से राजनीतिक सफर तय करते हुए भाजपा में आ चुके हैं। बीजेपी में उनके प्रतिद्वंद्वियों के लिये यही चिंता का विषय भी हो सकता है। चंदौली जिला पंचायत अध्यक्ष का पद पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षित है।सपा ने यहाँ से तेज नारायण एडवोकेट को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वैसे राजनीतिक हलकों में दीनानाथ शर्मा के नाम की चर्चा है। दीनानाथ को छत्रबली का सारथी बताया जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो लड़ाई दिलचस्प हो जाएगी। चंदौली से ही केंद्रीय मंत्री महेंद्र पांडेय सांसद हैं। चुनाव में उनकी भूमिका क्या होगी इस पर भी अटकलें लगाई जा रही हैं।
जहां तक दलगत स्थिति की बात है 35 सदस्यीय जिला पंचायत में बीजेपी को मात्र 8 सीटें मिली हैं। सपा समर्थित 11 उम्मीदवार जीते हैं। बसपा के 4 सदस्य जीते हैं। निर्दलियों की भी अच्छी खासी तादात हैं। जाहिर सी बात है कि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में चुनाव में धनबल की प्रमुख भूमिका होने जा रही है। सुना है कि छत्रपों ने थैली का मुंह खोल दिया है और रेट लाखों में पहुंच चुका है। सबकी निगाहें अब 26 जून को होने वाले नामांकन और 3 जुलाई के चुनाव पर टिकी हैं।