भाजपा में जाने की कहानी ने खोली पासी की पोल


गाजीपुर (काशीवार्ता)। फिल्मी स्टाइल में सपा से भाजपा में शामिल होने वाले सैदपुर के विधायक सुभाष पासी की सियासी कहानी अब हर किसी को हैरान कर रही है। विधायक निधि की धनराशि बांटने के नाम पर कमीशन लेने के खेल ने ही उनकी सपा में लुटाई डूबोई। करीब चार दर्जन से अधिक लोगों से पैसा लेने के आरोपों से घिरे सुभाष पासी के खिलाफ शिकायत के बाद अखिलेश ने जांच भी कराई थी। जांच के दौरान विधायक के खिलाफ लोगों ने बयान दिया। इसके बाद अखिलेश ने भी टिकट के लिए ना कह दिया था। इससे आहत होकर विधायक ने निरहुआ के जुगाड़ से भाजपा का दामन थाम लिया। सपा नेता चंद्रिका यादव ने कहा कि विधायक अपनी निधि बेचते थे। हालांकि अब खुद ही पासी सपा पर हमलावर हैं। वे सपा को दलितों के लिए खतरा बता रहे हैं। हालांकि विधायक के लोग इन आरोपों का सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि पासी की लोकप्रियता सपा से अधिक भाजपा में है। वह तीसरी बार विधायक बनकर हैट्रिक मारेंगे। सैदपुर के विधायक सुभाष पासी के सियासी सफर की शुरूआत 2007 में सादात विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। मुंबई में बड़ा कारोबार करने वाले सुभाष पासी इसके बाद सपा में शामिल हो गए। फिर उनके भाई की पत्नी को सपा ने गीता पासी को चेयरमैन बनवाया। 2012 के विधानसभा में सपा ने उन्हें सैदपुर विधानसभा सुरक्षित सीट से टिकट दिया। उन्होंने पहली बार विधायक बनने का स्वाद चखा। 2017 के चुनाव में सपा ने दोबारा रिपीट किया तो जनता ने भी उन्हें अपना नेता चुनकर विधायक बना दिया। दोबारा विधायक बनने के बाद पासी को सियासी अहंकार हो गया था। वह अपनी मर्जी से सियासत करने लगे। आरोप है कि मुंबई से कम ही अपने क्षेत्र में आते थे। सैदपुर में ब्लाक प्रमुख के उम्मीदवारी को लेकर उनका असली चेहरा सामने आया। जब सपा जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने दादा के पौत्र राहुल यादव को टिकट दिया तो यह पासी को नागवार लगा। उन्होंने सपा की भरी मीटिंग में इसका विरोध किया और यहां तक कह दिया कि मैं सैदपुर का विधायक हूं, मेरी विधानसभा में निर्णय लेने से पहले सपा जिलाध्यक्ष रामधारी को हमसे भी पूछना चाहिए।
ब्लाक प्रमुख की उम्मीदवारी का विवाद इतना गहरा गया कि इसे अखिलेश के दरबार में ले जाया गया। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को यह समझाया गया कि सुभाष पासी सपा के सीटिंग विधायक हैं और पूर्वांचल की 150 सीटों पर दो से दस हजार की संख्या तक पासी वोट प्रभावित कर सकते हैं। इसके बाद सुभाष पासी सीएम योगी से मिले। यहां से आशीर्वाद मिलने के बाद बीते मंगलवार को सुभाष पासी अपनी पत्नी रीना पासी और प्रतिनिधि आशु दूबे के साथ भाजपा की सदस्यता प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की मौजूदगी में ग्रहण कर लिया। समाजवादी शिक्षक सभा के राष्ट्रीय सचिव चंद्रिका यादव कहते हैं कि विधायक सुभाष पासी ने अक्षर फाउंडेशन के नाम पर बड़ा घोटाला किया है। विधायक निधि बेची है। उनके खिलाफ जांच होने वाली थी। इसलिए अपने आपको पाक साफ करने के लिए भाजपा में शामिल हुए हैं। सपा जिलाध्यक्ष रामधारी यादव का कहना है कि जनता से दूर रहने वाले विधायक के भाजपा में जाने से सपा को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। पार्टी ने उन्हें पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया था। पासी का आरोप बेबुनियाद है।