हरियाणा में बीजेपी सांसदों ने माना, किसानों को कृषि कानूनों के लाभ समझाने में पिछड़ी केंद्र सरकार


किसानों और केंद सरकार के मध्य कृषि कानून को लेकर गतिरोध जारी है. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. हरियाणा के कई बीजेपी सांसदों ने किसान प्रदर्शनकारियों को अन्नदाता बताया और कहा कि किसानों पर बल प्रयोग करना पूरी तरह से अस्वीकार्य और गलत है.

जहां एक ओर हरियाणा से लोकसभा के 10 बीजेपी सांसदों ने केंद्र द्वारा लाए गए तीन कृषि बिलों का समर्थन किया, वहीं दूसरी ओर कुछ सांसदों ने इसमें गड़बड़ी होने की भी बात कही. बीजेपी सांसदों ने इसको लेकर विपक्ष पर, खासकर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस किसानों को भड़काने का काम कर रही है. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकारा कि बीजेपी, किसानों को कृषि कानून के लाभों के विषय में आश्वस्त करने में असफल सिद्ध हुई है.

वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने किसान आंदोलन को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘विरोध प्रदर्शन के लिए पंजाब जिम्मेदार है. हरियाणा के किसान दिल्ली चलो आंदोलन का हिस्सा नहीं है’. खट्टर ने कहा, ‘हरियाणा के किसान इस विरोध प्रदर्शन से दूर हैं और पंजाब के किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं’.

‘पहले किसान, फिर राजनीतिक पार्टियां’

खट्टर द्वारा प्रदर्शन में कांग्रेस कार्यकर्ता और पंजाब के किसानों के शामिल होने की बात कहे जाने पर भिवानी महेंद्रगढ़ के बीजेपी सांसद धरमबीर सिंह ने कहा, ‘एक किसान सिर्फ एक किसान है, उसका किसी भी राजनीतिक पार्टी से जुड़ाव या संबंध नहीं है’. खट्टर द्वारा ये कहे जाना कि वो हमारे किसान नहीं है, पूरी तरह से गलत है. उन्होंने कहा, ‘पहले किसान है फिर राजनीतिक पार्टियां है. क्योंकि किसान हमारे अन्नदाता है’.

धरमबीर सिंह ने कहा कि उन्हें भरोसा कि 4 दिसंबर को सभी पार्टियों के साथ होने वाली मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई हल ढूंढ लेंगे. उन्होंने खट्टर पर निशाना साधते हुए कहा कि किसी भी नेता को ऐसी उल्टी सीधी बातें नहीं कहनी चाहिए. किसान हमारे हैं और हम उनके हैं.

हरियाणा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर राज्य के किसानों का अपमान करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘हरियाणा और पंजाब के किसान इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं. उन्हें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के किसानों का भी समर्थन मिल रहा है. उन्हें नजरअंदाज करना उन लोगों का अपमान है, जो कड़ी मेहनत कर रहे हैं’.