बोर्ड की नई परीक्षा केंद्रों की सूची धांधली का है पुलिंदा


गाजीपुर (काशीवार्ता)। माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी की गई परीक्षा केंद्रों की सूची धांधली का पुलिंदा साबित होती जा रही है। जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया है वह कहीं से भी मानक को पूरा नहीं करते हैं। डीआईओएस ने डीएम को अंधेरे में रखकर उन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बना दिया जो पूरी तरह से बदनाम और मानक विहीन थे। अब इन विद्यालयों पर परीक्षा कराना प्रशासन के लिए किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं होगा।
सात जनवरी को माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से 254 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया गया। जब काशीवार्ता ने एक एक विद्यालयों की समीक्षा करना शुरू की तो पूरे केंद्र निर्धारण में छेद ही छेद नजर आया। हर स्तर पर गड़बड़ी की गई। पहले गड़बड़ी राजकीय सिटी स्कूल के प्रधानाचार्य नवीन पाठक एवं उनकी टीम ने की। इन अधिकारियों की टीम ने विद्यालयों के संसाधन की रिपोर्ट दी। विद्यालय संचालकों एवं नकल माफियाओं से मिलकर ऐसे भी विद्यालय केंद्र बन गए जहां पर संसाधन बोर्ड की गाइड लाइन से बेहद कम नजर आए। बोर्ड की गाइड लाइन थी कि बदनाम और कम कमरे वाले विद्यालयों को किसी भी सूरत में परीक्षा केंद्र की सूची में शामिल न किया जाए। लेकिन डीआईओएस की टीम ने एक एक विद्यालयों से मोटी रकम लेकर खेल कर दिया। विद्यालय कोड 1132 मां मुनेश्वरी अर्चना इंटर कालेज बोगना मरदह में महज 15 कमरे थे। लेकिन इस विद्यालय के कमरों की संख्या 20 से अधिक दिखाकर केंद्र बना दिया गया। विद्यालय कोड 1315 ब्रम्हदेव सुदेश्वरी इंटर कालेज महेशपुर में 25 शिक्षण कक्ष दिखाया गया है जबकि मौके पर 15 भी शिक्षण कक्ष मौजूद नहीं है। इसके अतिरिक्त इस विद्यालय पर प्राइमरी की भी मान्यता ली गई है। इंटर और प्राइमरी एक ही भवन में संचालित होता है। विद्यालय कोड 1873 अंबिका यादव इंटर कालेज बौरी मरदह में मौके पर टोटल 15 कमरे हैं। जिसे 25 कमरे दिखाकर परीक्षा केंद्र बना दिया गया। प्रयोगशाला एवं शिक्षण कक्ष अलग से दिखाकर अधिकारियों ने खूब खेल किया। जबकि पूर्व डायट प्राचार्य राकेश सिंह ने परीक्षा के दौरान फर्जी छात्रों को परीक्षा देने पर मुकदमा कायम कराया था। प्रधानाचार्य की मिलीभगत भी उजागर हुई थी। इसी तरह से विद्यालय कोड 1520 सिद्वार्थ इंटर कालेज दिदोहर में 13 कमरे बने हैं। जबकि परीक्षा केंद्र बनाने के लिए फर्जी 22 कमरा दिखाकर खेल किया गया है। इस तरह से तमाम विद्यालय हैं जो परीक्षा केंद्र बन गए। अब अधिकारियों को जवाब देते नहीं बन रहा है। हालांकि जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। अब देखना होगा कि शासन स्तर पर इन गलतियों को नजर अंदाज किया जाएगा या फिर दोषियों के विरूद्ध विभागीय जांच करते हुए कठोर कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी। जेडी वाराणसी डा. प्रदीप कुमार सिंह का कहना है कि जांच टीम गठित कर दी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।