गुजरात उच्च न्यायालय का केंद्र और जीएसटी परिषद को नोटिस


नई दिल्ली। निर्यातकों द्वारा स्क्रिप आधारित प्रोत्साहन के माध्यम से शुल्क के भुगतान पर अधिभार और उपकर लगाए जाने को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, जीएसटी परिषद और सीमा शुल्क अधिकारियों को नोटिस भेजा है। इसके पहले निर्यातकों ने शिक्षा उपकर व सामाजिक कल्याण अधिभार लगाए जाने की संवैधानिक वैधता को लेकर उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। बहरहाल सरकार न सिर्फ निर्यातकों से उपकर व अधिभार का भुगतान चाहती है, बल्कि एक अन्य अधिसूचना में कहा है कि इसका भुगतान नकद होना चाहिए, न कि स्क्रिप के समायोजन के माध्यम से। निर्यातकों ने नई अधिसूचना के खिलाफ फिर न्यायालय की शरण ली और मांग की कि इस मसले को पहले की सुनवाई में ही शामिल कर लिया जाए। याचियों के वकील अभिषेक रस्तोगी ने कहा, ‘अधिसूचना में यह साफ किया गया है कि अधिभार का भुगतान नकद करना होगा और यह निर्यातकों के लिए चिंता का विषय है, खासकर ऐसी स्थिति में जब अधिभार लागू होने की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है और उस पर फैसला होना है।’ खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर रस्तोगी ने कहा कि अधिसूचना को चुनौती दी गई है, इसलिए दोनोंं समस्याओं का समाधान एक साथ होगा और मंदी के माहौल में निर्यातकों को बहुप्रतीक्षित राहत मिल सकेगी। आयात पर उपकर एवं अधिभार लागू किया जाता है, जहां शुल्क का भुगतान मर्केंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) स्क्रिप के माध्यम से किया जाता है। एमईआईएस क्रिप आधारित प्रोत्साहन है, जो निर्यातकों को विदेश व्यापार नीति 2015-20 के तहत मिलता है। इन स्क्रिप्स का इस्तेमाल शुल्क के भुगतान में किया जा सकता है।