आर्थिक बर्बादी का कारण बन रहा कोरोना संक्रमण


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी (काशीवार्ता)। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के पालन के अनुक्रम में राज्य सरकार ने कुछ फैसले लेने के लिए जिला प्रशासन को अधिकृत किया है। इस अधिकार का प्रयोग करते हुए जिलाधिकारी ने शहर में दुकानों के खुलने बंद होने की नई व्यवस्था का ऐलान किया है। इसके तहत अब सप्ताह में 5 दिन ही दुकानें खुलेंगी। वह भी शाम 4 बजे तक। इस फैसले की न सिर्फ व्यापारी वर्ग में तीखी आलोचना हुई है बल्कि आम जनमानस भी हैरान है। आखिर शाम 4 बजे तक दुकानें खुलने और पांच बजते-बजते घरों में कैद होने से क्या कोरोना वायरस कम हो जाएगा। संभवत नहीं, क्योंकि अगर संक्रमण होना होगा तो दोपहर में खुली दुकानों में आने वाले ग्राहकों की भीड़ से भी हो सकता है। प्रशासन के पास ना तो इतने संसाधन है और ना ही सरकारी तंत्र की हर दुकान में भीड़ को चेक कर सके। सुबह सब्जी, दूध व अन्य जरूरी सामान खरीदने वालों की भीड़ पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है। ऊपर के आदेश पर शहर के प्रमुख धर्मस्थल भी खुले रहें है, जहां हजारों लोग दर्शन पूजन करने जा रहे हैं। दवा की दुकानें तो बंद कर दी जा रही हैं परंतु शराब की दुकानों पर कोई रोक टोक नहीं। ऐसे में शराब खरीदने निकले व्यक्ति का किस धारा में चालान होगा। रेस्टोरेंट खोलने का आदेश है परंतु बार मॉडल शॉप नहीं खुल सकते। यह सारे फैसले यह बताने के लिए काफी है कि कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते प्रशासन हड़बड़ी में ऐसे फैसले ले रहा जो व्यवहारिक दृष्टि से उचित नहीं। नए नियम के अनुसार कुछ दुकानें महीने में 12 दिन तो कुछ मात्र 8 दिन खुलेंगे। दुकानदारों का मानना है दुकानों की बंदी समस्या का समाधान नहीं है। हां यह जरूर है कि अगर इसी तरह बेसिर पैर के फैसले लिए जा रहे हैं तो शहर का व्यापारी वर्ग पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। ऐसे में जान के साथ जहान का भी प्रधानमंत्री का सूत्रवाक्य अधूरा रह जाएगा। अगर वास्तव में प्रशासन कोरोना रोकने के प्रति गंभीर है तो उसे दिल्ली मॉडल अपनाना होगा। इस मॉडल कि प्रधानमंत्री भी तारीफ कर चुके हैं। केजरीवाल सरकार ने दिखा दिया है कि बिना बाजारों को अनावश्यक रूप से बंद किए कोरोना पर काबू पाया जा सकता है। सिर्फ इसके लिए एहतियात का सख्ती से पालन करना जरूरी है। मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग वह प्रमुख अस्त्र हैं जिसके माध्यम से इस महामारी पर अंकुश पाया जा सकता है। हालांकि यह भी अस्थाई उपाय है। इसलिए हमें उम्मीद करनी चाहिए कि जल्द से जल्द वैक्सिन इजाद हो। दिल्ली में अधिक से अधिक टेस्ट करके सरकार ने इस पर नियंत्रण पाने में काफी हद तक सफलता पाई।

कोरोना चेन तोड़ने को पूर्ण लॉकडाउन जरूरी
व्यापारी नेता प्रेम मिश्रा ने कहाकि कोरोना की चेन तोड़ने के लिए पूर्ण लॉकडाउन की जरूरत है। बाजार खुलने के समय को कमकर कोरोना की भयावहता को रोक पाना संभव नहीं है। सप्ताह में एक तरफ दो दिन व एक तरफ तीन दिन दुकान खोलने का निर्णय अव्यवहारिक है। व्यापारी/ दुकानदार सरकार के नियमों का पूर्ण पालन करते हुए व्यापार कर रहे है जबकि सड़को पर ठेला लगाने वाले व अनावश्यक रूप से घूमने वालों के कारण कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं जिनकों रोकने के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाया जाना आवश्यक है।
वॉलमार्ट की तरह जियोमार्ट खोलने की तैयारी
सरकार व प्रशासन द्वारा बाजार खोलने का जो निर्णय लिया गया है वो अव्यवहारिक है। प्रात: 9 बजे से 4 बजे तक बाजार खोलने से व्यापारियों कोई लाभ नहीं है। अमूनन दोपहर बाद महिलाएं अपने घरों का कार्य निपटा कर बाजार के लिए निकलती हैं और पुरुष वर्ग शाम को निकलता है। प्रशासन के आदेश के चलते महिलाएं बाजार जाने से कतरा रही है। अब जियोमार्ट खोलने की रिलायंस ग्रुप की तैयारी चल रही है।
55 घंटे का लॉकडाउन कारगर नहीं
समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष व चिकित्सक डॉ.पीयूष यादव ने कहाकि कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए सभी को एहतियात बरतने की जरूरत है। कुछ घंटों पहले बाजार बंद करने से कोरोना पर रोक लगा पाना संभव नहीं है। कोरोना के मामले जिस तरह से बढ़ रहे हैं उसको देखते हुए पूर्ण लॉकडाउन की जरूरत है। सप्ताह में 55 घंटे का लॉकडाउन इसका कारगर उपाय नहीं है।

इंसान को प्रयोगशाला बना दिया
व्यापारी नेता संजीव सिंह बिल्लू ने शासन की नीतियों पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि शुरूआती दौर में 21 दिन, 14 दिन, 10 दिन, 55 घंटे व अब 13 घंटे का लॉकडाउन कर इंसान को प्रयोगशाला बना दिया है। सप्ताह में पांच दिन बाजार खोलने का आदेश वो भी एक माह में एक तरफ की दुकान 8 दिन व दूसरी पटरी की दुकान 12 दिन खोलकर सरकार क्या व्यापारियों को मारना चाह रही है। क्या व्यापारी ही कोरोना की चेन को बढ़ा रहे हैं जो इस तरह का तुगलकी आदेश व्यापारियों के लिए लागू किया गया है।